[S.376 IPC] कलकत्ता हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता के साथ सहमति से संबंध बनाने के 7 साल बाद व्यक्ति के खिलाफ शादी का झूठा वादा करने का मामला खारिज किया
कलकत्ता हाईकोर्ट ने महिला द्वारा एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज किए गए कथित बलात्कार का मामला खारिज किया, जिसके साथ वह सहमति से संबंध में थी।
जस्टिस शम्पा (दत्त) पॉल ने पाया कि शिकायतकर्ता ने 2013 में आरोपी के साथ शारीरिक संबंध बनाए और 2018 तक इसे जारी रखा जिसके बाद उसने 2020 में शिकायत दर्ज कराई।
अदालत ने कहा,
केस डायरी में उक्त सामग्रियों से इस अदालत को पता चलता है कि वास्तविक शिकायतकर्ता को पता था कि याचिकाकर्ता की शादी में कोई दिलचस्पी नहीं थी लेकिन फिर भी उसने घटना के समय लगभग 25 वर्ष की आयु में बालिग होने के बावजूद संबंध जारी रखा। डर में डाले जाने का आरोप प्रथम दृष्टया प्रमाणित नहीं हुआ। यह रिश्ता वर्ष 2013 में शुरू हुआ था। शिकायत 2020 में दर्ज की गई।
इस मामले में भी वर्ष 2013 में उनके रिश्ते की शुरुआत में शादी के किसी भी वादे के बारे मे चार्जशीट में कोई आरोप नहीं है। यह रिश्ता 2018 तक जारी रहा। जबरन यौन संबंध बनाने का कोई आरोप नहीं है। इस मामले में शादी का कथित आश्वासन भी शारीरिक संबंध बनाने का एकमात्र कारण नहीं था। चूंकि पक्षों के बीच संबंध प्रथम दृष्टया सहमति से प्रतीत होता है, इसलिए आरोपित अपराधों को गठित करने के लिए आवश्यक तत्व प्रथम दृष्टया आरोपी/याचिकाकर्ताओं के खिलाफ नहीं बनते हैं।
आगे कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ वर्ष 2020 में मामला दर्ज किया गया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने शादी का झूठा वादा करके उसे यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जिस पर उसे अंध विश्वास था।
राज्य ने प्रस्तुत किया कि शिकायतकर्ता ने पॉजिटिव प्रेग्नेंसी टेस्ट दिया था। वह वर्ष 2013 से याचिकाकर्ता के साथ रिश्ते में थी। यह भी कहा गया कि शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता की शादी उसके माता-पिता द्वारा तय किए जाने पर आपत्ति जताई और कथित रूप से अपमानित होने के बाद उसने मामला दर्ज कराया।
तदनुसार शिकायत में कोई योग्यता नहीं पाते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला रद्द कर दिया।
टाइटल: कविश शब्बीर अहमद बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य।