वकील को मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार, अदालत में पेश होने के लिए भीख मांगने की ज़रूरत नहीं: कलकत्ता हाईकोर्ट

Update: 2024-09-03 06:51 GMT

जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस प्रसेनजीत बिस्वास की मौजूदगी वाली कलकत्ता हाईकोर्ट की सर्किट बेंच ने पेश होने की अनुमति के लिए भीख मांगने वाले वकील को टोकते हुए कहा कि वकीलों को अदालत में अपने मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व करते समय पेश होने के लिए भीख मांगने जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने की ज़रूरत नहीं है।

पीठ ने ऐसी प्रथाओं को व्यवस्था के औपनिवेशिक अतीत के अवशेष के रूप में संदर्भित किया। टिप्पणी की कि वकीलों को अपने मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है और उन्हें अपना मामला बनाने के लिए भीख मांगने की ज़रूरत नहीं है।जजों ने इस बात पर जोर दिया कि वकील के पास न्यायालय में उपस्थित होने का वैधानिक और संवैधानिक अधिकार है, जिसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता। न्यायालय में उपस्थित होने की अनुमति मांगने के लिए भीख मांगना औपनिवेशिक काल से चली आ रही प्रथा है।

न्यायालय ने टिप्पणी की,

"ये औपनिवेशिक अभिव्यक्तियां अब खत्म हो चुकी हैं, हम स्वतंत्र हैं। आपके पास उपस्थित होने का संवैधानिक और वैधानिक अधिकार है। कोई भी आपको मना नहीं कर सकता। भीख मांगने जैसे शब्द का उपयोग क्यों करें?"

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