ChatGPT द्वारा IndiaMART का अनुचित बहिष्कार — OpenAI की सुनवाई तक राहत नहीं
कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह माना है कि इंडिया मार्ट ने ChatGPT-जनित खोज परिणामों से कथित रूप से बाहर किए जाने के मामले में चयनात्मक भेदभाव का एक मज़बूत प्रथमदृष्टया (prima facie) मामला स्थापित किया है, परंतु अदालत ने अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया। अदालत का कहना था कि इस चरण पर कोई भी अंतरिम आदेश पारित करना, बिना ओपनएआई एवं अन्य प्रतिवादियों को सुने, वस्तुतः अंतिम राहत देने के समान होगा।
यह आदेश जस्टिस रवि कृषन कपूर ने 24 दिसंबर 2025 को उच्च न्यायालय के बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) प्रभाग में इंडियामार्ट इंटरमेश लिमिटेड द्वारा OpenAI इंक. एवं अन्य प्रतिवादियों के विरुद्ध दायर वाद में पारित किया। यह मामला इस प्रश्न को रेखांकित करता है कि एआई मध्यस्थ विदेशी सरकारी रिपोर्टों पर किस हद तक निर्भर रह सकते हैं और एल्गोरिथमिक बहिष्करण भारतीय व्यवसायों को किस प्रकार प्रभावित कर सकता है।
शुरुआत में ही अदालत ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता के साथ “बिना किसी तर्क के” चयनात्मक बहिष्कार होता प्रतीत होता है, जिससे उसकी साख, प्रतिष्ठा और व्यवसायिक हितों को क्षति पहुँच रही है। न्यायालय ने यह भी नोट किया कि प्रतिवादियों ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) की रिपोर्टों पर बिना सूचना, सुनवाई या स्वतंत्र मूल्यांकन के यांत्रिक रूप से भरोसा किया प्रतीत होता है।
हालाँकि, न्यायालय ने यह सावधानी भी जताई कि इस चरण पर कोई भी अंतरिम आदेश पारित करना, प्रतिवादियों को सुने बिना, अंतिम डिक्री पारित करने जैसा होगा—इसलिए ऐसा करना न्यायोचित नहीं होगा, भले ही याचिकाकर्ता का मामला प्रथमदृष्टया मज़बूत दिखता हो।
याचिका में कहा गया कि इंडियामार्ट एक प्रमुख B2B ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म संचालित करता है, जो अपनी वेबसाइट और मोबाइल ऐप के माध्यम से खरीदारों-विक्रेताओं को मुफ्त एवं सशुल्क लिस्टिंग उपलब्ध कराता है, तथा उसके पास पंजीकृत और प्रसिद्ध ट्रेडमार्क “IndiaMART” है। शिकायत का मुख्य आधार यह था कि इंडियामार्ट की लिस्टिंग चैटजीपीटी पर दिखाई नहीं जा रही, जबकि अन्य ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म दिखाई देते रहते हैं—जिसे कंपनी ने ट्रेड लाइबल, ब्रांड डायल्यूशन, अनुचित प्रतिस्पर्धा और व्यवसाय में हस्तक्षेप करार दिया।
याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि USTR रिपोर्टों में उल्लिखित अन्य प्लेटफ़ॉर्म—जैसे DHGate, Pinduoduo, Shopee और Taobao—अब भी चैटजीपीटी पर उपलब्ध हैं, जिससे मानकों के चयनात्मक और भेदभावपूर्ण प्रयोग का संकेत मिलता है। न्यायालय ने इस contention को गंभीर मुद्दा बताते हुए विचारणीय माना।
इंडियामार्ट ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की उस प्रेस विज्ञप्ति पर भी भरोसा किया, जिसमें कहा गया है कि USTR रिपोर्टें भारत पर बाध्यकारी नहीं हैं। न्यायालय ने टिप्पणी की कि इस महत्वपूर्ण पहलू पर प्रतिवादियों ने कोई विचार नहीं किया।
हालाँकि मामला तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था, प्रतिवादी पक्ष उपस्थित नहीं हुआ। न्यायालय ने कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के तहत उन्हें सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता।
अदालत ने मामले को 13 जनवरी 2026 के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है तथा याचिकाकर्ता को प्रतिवादियों को कूरियर, ई-मेल और अन्य अनुमत माध्यमों से पुनः सेवा (notice) कराने को कहा है।