कोलकाता पुलिस द्वारा कथित रूप से राज्यपाल कार्यालय को कलंकित करने वाले बयानों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई नहीं

Update: 2024-05-09 11:35 GMT

कलकत्ता हाइकोर्ट ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। उक्त याचिका में कोलकाता पुलिस द्वारा मीडिया स्रोतों को दिए गए बयानों पर अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई थी, जिसमें कथित रूप से राज्यपाल सीवी आनंद बोस के कार्यालय को कलंकित किया गया।

वकील ने प्रस्तुत किया कि पुलिस ने मीडिया में ऐसी टिप्पणियां की थीं, जिनसे कथित रूप से राज्यपाल की प्रतिष्ठा धूमिल हुई, जिन्हें अनुच्छेद 361 के तहत संवैधानिक छूट प्राप्त है।

प्रस्तुति पर सुनवाई करने के बाद चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि यह जनहित याचिका का आधार नहीं हो सकता। अदालत ऐसे मुद्दे पर राज्य के राज्यपाल को सलाह देने में सक्षम नहीं है।

खंडपीठ ने कहा,

"इस पर कोई जनहित याचिका नहीं है। हम राज्यपाल को जनहित याचिका में क्या करना चाहिए यह सलाह नहीं दे सकते।"

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार राज्यपाल बोस पर राजभवन की महिला कर्मचारी ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। स्थानीय मीडिया का कहना है कि राज्यपाल ने महिला की शिकायत के आधार पर जांच करने के लिए कोलकाता पुलिस को राजभवन परिसर में प्रवेश करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।

यह भी बताया गया कि राज्यपाल के कार्यालय ने आरोपों को गलत साबित करने के लिए नागरिकों के साथ राजभवन के सीसीटीवी फुटेज शेयर करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया। राजभवन ने सुबह अपने परिसर में प्रेस के सदस्यों के लिए उक्त फुटेज की स्क्रीनिंग भी की।

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