किसी भी आरोपी द्वारा यौन कृत्य करना गैंग रेप के अपराध में शेष आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त: बॉम्बे हाईकोर्ट

Update: 2024-07-30 06:34 GMT

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने हाल ही में माना कि गैंग रेप के मामले में किसी को आरोपी बनाने के लिए यौन कृत्य करना अनिवार्य नहीं है, बल्कि इसके बजाय व्यक्ति (आरोपियों में से) द्वारा यौन कृत्य करना भी अन्य (समूह में) को गैंग रेप के लिए दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त है।

एकल जज जस्टिस गोविंद सनप ने महिला के साथ गैंग रेप के लिए दोषी ठहराए गए चार लोगों द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई करते हुए कहा कि केवल दो आरोपियों ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया, जबकि अन्य दो ने उसके दोस्त पर धावा बोला और उसे बचाने नहीं दिया।

जज ने कहा,

दो आरोपियों (संदीप और शुभम) ने पीड़िता को पेड़ के पीछे घसीटा। बाकी दो आरोपियों (कुणाल और अशोक) ने पीड़िता के दोस्त को पकड़ लिया। उन्होंने उसे हिलने-डुलने नहीं दिया। मेरे विचार से यह आरोपी कुणाल और अशोक के ज्ञान और इरादे को साबित करने के लिए पर्याप्त है। उन्हें कानून के शिकंजे से बचाया जा सकता था> बशर्ते उन्होंने पीड़िता के दोस्त को न पकड़ा होता, जो अगर उनके द्वारा पकड़ा नहीं जाता तो पीड़िता को बचाने की कोशिश कर सकता था।

जज ने आगे कहा कि अगर पीड़िता के दोस्त को पकड़ा नहीं गया होता तो वह शोर मचा सकता था और किसी तरह आरोपियों को पीड़िता के साथ इस घिनौने कृत्य को करने से रोक सकता था।

एकल न्यायाधीश ने कहा,

"आरोपी में से किसी एक द्वारा वास्तविक यौन कृत्य किया जाना शेष आरोपियों को सामूहिक बलात्कार के अपराध में शामिल करने के लिए पर्याप्त है, बशर्ते यह दिखाने के लिए सामग्री हो कि उनका इरादा एक जैसा था। मेरे विचार में कुणाल और अशोक के कृत्य ने आरोपी शुभम और संदीप द्वारा बलात्कार के अपराध को अंजाम देने में मदद की।"

4 जुलाई को पारित आदेश में पीठ ने कहा कि पीड़िता के दोस्त के पास एक मोटरसाइकिल थी और अगर उसे काबू नहीं किया जाता तो वह मौके से चला जाता और किसी की मदद लेने की कोशिश करता या गांव के इन आरोपियों से मदद मांगता।

न्यायाधीश ने रेखांकित किया,

"जब वन रक्षक मौके पर आया और पीड़िता तथा आकाश ने उसे घटना के बारे में बताया तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उस समय तक आरोपी शुभम और संदीप ने पीड़िता के साथ बलात्कार किया था और अपनी हवस पूरी की थी। मुझे इस तर्क में कोई दम नहीं दिखता कि कुणाल और अशोक को सामूहिक बलात्कार के अपराध में दोषी नहीं ठहराया जा सकता और उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता।"

मामले की पृष्ठभूमि:

13 जून, 2015 को चंद्रपुर जिले के एक गांव की रहने वाली पीड़िता अपने जिले के मंदिर में अपनी सहेली से मिली। पूजा-अर्चना करने के बाद दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गए। तीनों आरोपी मौके पर आए और पीड़िता तथा उसकी सहेली को पकड़ लिया तथा उनसे कहा कि वे वन विभाग के अधिकारी हैं और 10,000 रुपये मांगे।

हालांकि जब उन्होंने इतनी रकम देने से इनकार कर दिया तो आरोपियों ने दोनों के साथ मारपीट की। इसके बाद आरोपियों ने पीड़िता का फोन छीन लिया और चौथे आरोपी को मौके पर बुलाया।

फिर दोनों को बेरहमी से पीटा गया। जब पीड़िता शौच के लिए गई, तो दो आरोपियों संदीप और शुभम ने उसका पीछा किया और उसके साथ बलात्कार किया, जबकि अन्य दो कुणाल और अशोक ने पीड़िता के दोस्त को पकड़ लिया और उसे पीड़िता की मदद नहीं करने दी। वन रक्षक के घटनास्थल के पास आने के बाद ही आरोपी वहां से भागे।

केस टाइटल- संदीप तलांडे बनाम महाराष्ट्र राज्य (आपराधिक अपील 618/2018)

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