आपातकालीन सेवाएं प्रभावित होंगी, पूरे महाराष्ट्र का जनजीवन ठप्प हो सकता है: एमवीए के महाराष्ट्र बंद पर बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार (23 अगस्त) को बदलापुर में दो किंडरगार्टन लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न के विरोध में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन की ओर से अह्वान किए गए 'महाराष्ट्र बंद' पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के 'बंद' से 'मुंबई का पूरा जीवन' रुक जाएगा।
चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने शुक्रवार शाम को अपना आदेश सुनाया, जिसके तहत उसने सभी राजनीतिक दलों और यहां तक कि व्यक्तियों को राज्य में कोई भी 'बंद' करने से रोक दिया था। कोर्ट ने एमवीए गठबंधन - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) - शरद पवार गुट और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) को भी नोटिस जारी किया था, और 9 अक्टूबर तक याचिकाओं पर उनसे जवाब मांगा था।
हालांकि, आदेश की घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर, पार्टियों ने कथित तौर पर अपने प्रस्तावित बंद को वापस ले लिया। पीठ के आदेश की प्रति शुक्रवार देर रात उपलब्ध कराई गई, जिसमें न्यायाधीशों ने मुंबई में नागरिकों के सामान्य जीवन पर प्रस्तावित बंद के प्रभाव पर ध्यान दिया है।
न्यायाधीशों ने आदेश में कहा,
"हम प्रथम दृष्टया आश्वस्त हैं कि राजनीतिक दलों द्वारा किया गया आह्वान कल (24 अगस्त) पूरे महाराष्ट्र राज्य में बंद रखने का आह्वान है, जिसका अर्थ है सभी प्रकार की गतिविधियों को बंद करने का आह्वान, जिसके परिणामस्वरूप राज्य का जीवन रुक जाएगा, जिससे औद्योगिक गतिविधियों, व्यावसायिक गतिविधियों, आर्थिक गतिविधियों और ऐसी अन्य गतिविधियों को भारी नुकसान हो सकता है।"
पीठ ने कहा कि यदि ऐसा आह्वान किया जाता है, तो इससे न केवल बच्चों और अन्य छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं जैसी आपातकालीन सेवाओं और बिजली और पानी की आपूर्ति और मुंबई में लोकल ट्रेनों की सेवाओं जैसी अन्य सार्वजनिक सुविधाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
न्यायाधीशों ने कहा, "इस समय यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि मुंबई में लोकल ट्रेनें इसकी जीवन रेखा हैं और यदि बंद के आह्वान को अनुमति दी जाती है, तो यह संभावना है कि मुंबई का पूरा जीवन रुक सकता है।"
पीठ ने कहा, "हमारा मानना है कि यदि इस न्यायालय द्वारा सभी संबंधित पक्षों को बंद के आह्वान पर आगे बढ़ने से रोकने का निर्देश नहीं दिया जाता है, तो न केवल अर्थव्यवस्था और व्यापार के मामले में, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं सहित आवश्यक सेवाओं और बुनियादी सुविधाओं को प्रदान करने के मामले में भी भारी नुकसान होगा, जिसे रोकने की आवश्यकता है।"
ठाणे के बदलापुर इलाके में एक स्कूल सफाईकर्मी द्वारा दो नाबालिगों के साथ यौन उत्पीड़न की दुखद घटना के विरोध में एमवीए ने बंद का आह्वान किया था। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और महाराष्ट्र सरकार ने घटना की जांच के लिए आईपीएस अधिकारी आरती सिंह के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन भी किया है।
उल्लेखनीय है कि जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे की अगुवाई वाली बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने घटना का स्वत: संज्ञान लिया है और इस सप्ताह की शुरुआत में हुई सुनवाई में पीठ ने बदलापुर पुलिस द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में विभिन्न खामियों पर ध्यान दिया और न्यायाधीशों ने कहा कि 'पुलिस ने अपनी भूमिका उस तरह नहीं निभाई, जैसी उसे निभानी चाहिए थी।' मामले की सुनवाई मंगलवार को रखी गई है।
केस टाइटल: नंदा बाई सरजेराव मिसाल बनाम महाराष्ट्र राज्य (PIL/108/2024)