'कुछ तत्परता दिखाएं': 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी अबू सलेम की समयपूर्व रिहाई की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा

Update: 2025-04-02 11:03 GMT
कुछ तत्परता दिखाएं: 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी अबू सलेम की समयपूर्व रिहाई की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा

1993 के मुंबई बम धमाकों के मुख्य दोषियों में से एक गैंगस्टर अबू सलेम द्वारा दायर याचिका को रोकने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार (2 अप्रैल) को केंद्र और राज्य सरकारों पर नाराजगी जताई। इस याचिका में तलोजा जेल से छूट और समयपूर्व रिहाई की मांग की गई, जहां वह इस मामले में अपनी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

जस्टिस सारंग कोतवाल और जस्टिस श्रीराम मोदक की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा,

"हम आपको बहुत कम समय देंगे, सप्ताह नहीं। हम मामले को 16 अप्रैल को रखेंगे, लेकिन आप दोनों (राज्य और संघ) को स्थगित तिथि से पहले अपने जवाब दाखिल करने होंगे। कुछ तत्परता दिखाएं। कृपया अगली तिथि पर मामले पर बहस करें।"

सलेम ने विशेष आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (TADA) अदालत द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी, जिसने 10 दिसंबर, 2024 को समय से पहले रिहाई के लिए उसकी याचिका खारिज कर दी थी।

सुनवाई के दौरान, राज्य के अतिरिक्त लोक अभियोजक मनकुंवर देशमुख ने पीठ को सूचित किया कि राज्य ने अभी तक अपना हलफनामा दायर नहीं किया।

यह सुनते हुए अदालत ने कहा,

"याचिका में अत्यधिक तत्परता है, लेकिन आप (राज्य) कोई तत्परता नहीं दिखा रहे हैं। हमने आपको हलफनामा दाखिल करने के लिए 21 दिन का समय दिया, लेकिन आपने अभी तक ऐसा नहीं किया।"

खंडपीठ ने भारत संघ के रुख पर भी नाराजगी जताई, क्योंकि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह सुनवाई के लिए नहीं आए और न ही उन्होंने कोई हलफनामा दाखिल किया।

मामले की पृष्ठभूमि

वकील फरहाना शाह के माध्यम से दायर अपनी याचिका में सलेम ने दावा किया कि उसने जेल में 25 साल पूरे कर लिए हैं और 2005 में उसके प्रत्यर्पण के समय भारत और पुर्तगाल के बीच हस्ताक्षरित 'प्रत्यर्पण संधि' के अनुसार अपनी रिहाई की मांग की।

सलेम ने अपनी याचिका में नवंब,र 2005 (जब उसे भारत लाया गया था) से लेकर आज तक 'जेल में बिताए समय' की गणना की। उसने जो छूट अर्जित की है, उसके साथ तर्क दिया कि उसने 25 साल से अधिक जेल में बिताए हैं। इसलिए अब उसे रिहा किया जाना चाहिए, क्योंकि पुर्तगाल के साथ संधि उसकी सजा को 25 साल से अधिक नहीं होने देती है।

सलेम की गणना के अनुसार, नवंबर 2005 से सितंबर 2017 (अंडरट्रायल अवधि) तक उसने लगभग 11 साल, 9 महीने और 26 दिन जेल में बिताए। इसके बाद फरवरी, 2015 से दिसंबर, 2024 तक अपराधी के रूप में बिताए गए समय में सलेम का दावा है कि वह 9 साल, 10 महीने और 4 दिन सलाखों के पीछे रहा है।

इसके अलावा, गैंगस्टर ने कहा कि उसने 2006 के मामले में अपने 'अच्छे व्यवहार' के लिए 3 साल और 16 दिन की छूट 'अर्जित' की। पुर्तगाल में विचाराधीन कैदी के रूप में बिताए गए समय के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उसे एक महीने की छूट दी थी। जब इन सभी 'जेल में बिताए गए समय' की गणना की जाती है तो सलेम ने कैदी के रूप में 24 साल और 9 महीने का दावा किया।

सलेम ने जुलाई, 2002 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने भी पुर्तगाल के साथ संधि पर भरोसा किया और कहा कि उक्त संधि के अनुसार, सलेम को जेल में 25 साल पूरे करने पर रिहा करना होगा।

सलेम ने तर्क दिया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसे जीवन और स्वतंत्रता का जो अधिकार प्राप्त है, उसका अधिकारियों द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है, क्योंकि उसे संधि पर हस्ताक्षर करते समय भारतीय अधिकारियों द्वारा तय की गई 25 साल की जेल अवधि से अधिक समय तक जेल में रखा जा रहा है।

इसलिए याचिका में अधिकारियों को सलेम की रिहाई की सटीक तारीख बताने का निर्देश देने की मांग की गई।

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