समाज बच्चों को स्वस्थ पर्यावरण देने का ऋणी, स्कूल के पास डंपिंग ग्राउंड की अनुमति नहीं दी जाएगी: बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपशिष्ट निपटान स्थल के खिलाफ याचिका में टिप्पणी की

एक स्कूल के पास की भूमि पर नगरपालिका ठोस अपशिष्ट उपचार एवं निपटान स्थल स्थापित करने के प्रस्ताव को चुनौती देने वाली याचिका में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि वह स्कूल के पास डंपिंग ग्राउंड स्थापित करने की अनुमति नहीं देगा।
न्यायालय नासिक जिले के तालुका इगतपुरी के अवलखेड़ा गांव के एक स्कूल और ग्राम पंचायत द्वारा दायर 2011 की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।
सुनवाई के दौरान नगर परिषद के वकील ने कहा कि शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव ने पक्षों की बात सुनी और उपचार संयंत्र को अधिकृत करने वाला आदेश पारित किया। हालांकि याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सचिव ने आदेश में कोई कारण नहीं बताया।
चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने नगर परिषद के वकील से सवाल किया कि स्कूल के पास डंपिंग ग्राउंड कैसे हो सकता है।
यह देखते हुए कि बच्चों को स्वस्थ वातावरण का अधिकार है, सीजे आराधे ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
"आप इस बात पर जोर नहीं दे सकते कि स्कूल के बगल में डंपिंग ग्राउंड होना चाहिए। कृपया समझें कि बच्चे समाज का भविष्य हैं। समाज का दायित्व है कि उन्हें डंपिंग ग्राउंड नहीं, बल्कि स्वस्थ वातावरण प्रदान करे।"
उन्होंने वकील से आगे कहा,
"निष्पक्षता से आपको यह कहना चाहिए कि हम निर्णय की समीक्षा करेंगे। हम स्कूल के बगल में डंपिंग ग्राउंड की अनुमति नहीं देंगे।"
वकील ने आगे टिप्पणी की,
"यदि आपका बेटा या बेटी किसी ऐसे स्कूल में पढ़ रहा है, जिसके पास डंपिंग ग्राउंड है, तो क्या आप उन्हें भेजेंगे?"
वकील ने तब कहा कि प्रस्तावित स्थल डंपिंग ग्राउंड के लिए नहीं बल्कि 'प्रोसेसिंग प्लांट' के लिए होगा।
न्यायालय ने कहा कि वह इस मुद्दे की जांच करेगा। न्यायालय ने टिप्पणी की कि याचिकाएं 2010 से लंबित हैं और नगर परिषद को अब तक वैकल्पिक स्थान ढूंढ लेना चाहिए था।
सीजे अराधे ने टिप्पणी की,
“आश्चर्य की बात यह है कि 2010 से ये याचिकाएं लंबित हैं। आपकी जगह कोई भी व्यक्ति वैकल्पिक स्थान ढूंढ लेता।”
कोर्ट ने कहा कि वह मामले की सुनवाई पूरी कर लेगा और मामले को 24 अप्रैल के लिए स्थगित कर दिया।
केस टाइटल : इगतपुरी नगर परिषद (अपने मुख्य अधिकारी के माध्यम से) बनाम दिलबर पारख और अन्य और संबंधित मामले