आनंद तेलतुम्बडे की गतिविधियों से भारत की संप्रभुता को खतरा; उन्हें विदेश जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए: NIA ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि दलित अधिकार कार्यकर्ता डॉ. आनंद तेलतुम्बडे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) (सीपीआई-एम) के सक्रिय सदस्य हैं और कथित तौर पर ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं, जो भारत की 'संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता' के लिए 'खतरा' पैदा करती हैं। इसलिए उन्हें अकादमिक असाइनमेंट में भाग लेने के लिए एम्स्टर्डम और यूनाइटेड किंगडम की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
NIA, मुंबई के पुलिस अधीक्षक प्रवीण इंगवाले के माध्यम से दायर हलफनामे में केंद्रीय एजेंसी ने अदालत से तेलतुम्बडे की विदेश यात्रा की याचिका खारिज करने का आग्रह किया।
हलफनामे में कहा गया,
"वर्तमान आवेदक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सीपीआई (एम) का सक्रिय सदस्य है, जिसने शिक्षाविद, लेखक, प्रशासक और समाज के उत्पीड़ित वर्ग के कथित जन नेता की आड़ में अपनी नापाक गतिविधियों को जारी रखने के लिए अपनी झूठी सार्वजनिक छवि और समाज में अपनी स्थिति का इस्तेमाल किया है।"
NIA ने आगे कहा कि तेलतुम्बडे शहरी क्षेत्रों में काम करने वाले प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) का सक्रिय और सीनियर सदस्य है। एजेंसी ने कहा कि वह गिरफ्तार सह-आरोपी सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, वरवर राव, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंजाल्विस, स्टेन स्वामी और हनी बाबू - सीपीआई (एम) के अन्य सदस्यों के साथ भीमा-कोरेगांव मामले की बड़ी साजिश और अपराध को अंजाम देने के दौरान संपर्क में है।
NIA के अनुसार, तेलतुम्बडे पहले भी विदेश यात्रा कर चुके हैं, लेकिन फिलीपींस, पेरू, तुर्की आदि देशों में अपनी शैक्षणिक यात्राओं की आड़ में वे माओवादी विचारधारा, रणनीति, उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार, हमलों की अवधि, अचानक हमलों की योजना आदि से संबंधित माओवादी साहित्य और वीडियो (पेन ड्राइव/मेमोरी कार्ड में) लाते थे।
तेलतुम्बडे ने एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी, नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी और अन्य द्वारा आमंत्रित किए जाने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी याचिका में कहा गया कि वह 1 अप्रैल को एम्स्टर्डम और फिर 1 मई को यूके की यात्रा करना चाहते हैं और 21 मई को मुंबई लौटेंगे।
उनकी याचिका के अनुसार, एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी के मानविकी संकाय ने उन्हें "सामाजिक न्याय के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध विद्वता और विशेषज्ञता" के आधार पर विजिटिंग स्कॉलर के रूप में चुना है। यह चार सप्ताह का कार्यक्रम है, जिसमें सेमिनार देना, 14 अप्रैल को डॉ. बीआर अंबेडकर पर व्याख्यान देना, पीएचडी उम्मीदवारों के साथ मास्टर कक्षाएं आयोजित करना, पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षण और व्यक्तिगत स्कॉलर्स और शिक्षकों के साथ बैठकें शामिल हैं।
इसके अलावा, उन्हें 16 अप्रैल को नीदरलैंड के लीडेन यूनिवर्सिटी के लीडेन इंस्टीट्यूट फॉर एशिया स्टडीज द्वारा लेक्चर देने के लिए भी आमंत्रित किया गया। उन्हें मई 2025 में पहले दो सप्ताह के लिए यूनाइटेड किंगडम के नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी द्वारा स्कॉलर-इन-रेजिडेंस के रूप में भी आमंत्रित किया गया, जिससे वे अपने शैक्षणिक कार्यक्रम में भाग ले सकें और रिसर्चर और डॉक्टरेट उम्मीदवारों से मिलकर उन्हें उनके शोध परियोजनाओं पर सलाह दे सकें। इसके बाद उन्हें ऑक्सफोर्ड साउथ एशिया सोसाइटी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ सोशल एंड पॉलिटिकल साइंस, एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन द्वारा लेक्चर देने के लिए आमंत्रित किया गया।
इस संबंध में, NIA ने कहा कि हालांकि तेलतुंबडे की पुस्तकों को नीदरलैंड और यूनाइटेड किंगडम सहित विदेशी देशों से अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा मिली है। फिर भी यह जांच का विषय है और सक्षम प्राधिकारी से इसकी पुष्टि की जानी चाहिए कि क्या तेलतुंबडे को 14 अप्रैल से 15 मई, 2025 तक लेक्चर देने की आवश्यकता है।
NIA ने कहा,
"यह भी माना जा सकता है कि आवेदक द्वारा व्यक्तिगत रूप से व्याख्यान देने की कथित आवश्यकता बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है, क्योंकि वैकल्पिक रूप से उक्त लेक्चर ऑनलाइन मोड के माध्यम से भी दिए जा सकते हैं, जिसमें उनकी गतिविधियों की निगरानी के लिए NIA के साथ एक लिंक साझा किया जाएगा। इसके अलावा, आवेदक द्वारा उक्त विदेशी यूनिवर्सिटी में कथित रूप से लेक्चर देने का कड़ा विरोध किया जाता है, क्योंकि उसके फरार होने और इस तरह न्यायिक प्रक्रिया और इस मामले की सुनवाई से बचने के लिए कथित रूप से उक्त देशों में शरण लेने की संभावना है। साथ ही आवेदक भारत में सीपीआई (एम) के आपराधिक और गैरकानूनी कार्यों को आगे बढ़ा रहा है।"
इसके अलावा, NIA ने दावा किया कि भारत में विभिन्न मामलों में वांछित आरोप-पत्रित कुछ आरोपी फरार हो गए और उन्होंने विदेशों में शरण मांगी है। इसलिए उन्होंने तर्क दिया कि उन मामलों के अभियोजन और परीक्षण के लिए उन आरोपियों को वापस लाने में कानूनी बाधा है। NIA हलफनामे में आगे आरोप लगाया गया कि महाराष्ट्र में लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा समिति (CPDR) के महासचिव के रूप में तेलतुंबडे ने तमिलनाडु की जेल में बंद सीपीआई (एम) कैडर मुरुगन की रिहाई के लिए प्रयास किए। साथ ही जीएन साईबाबा की रिहाई के लिए भी प्रयास किए, जो एक अन्य दोषी और सीपीआई (एम) के सदस्य हैं।
NIA ने कहा,
"यह प्रस्तुत किया गया कि भीमा कोरेगांव कार्यक्रम के संबंध में अपीलकर्ता की भूमिका की सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति द्वारा सराहना की गई और रिकॉर्ड पर ठोस और प्रासंगिक साक्ष्य हैं कि अपीलकर्ता और उसके सह-आरोपियों को आग को सुलगाए रखने यानी सीपीआई (एम) की नापाक गतिविधियों को जारी रखने के निर्देश दिए गए। माओवादी कैडर काफी लंबे समय से भीमा कोरेगांव कार्यक्रम के साथ समन्वय कर रहे थे और इसके लिए समर्थन जुटाने और इसके बारे में आपस में संवाद करने की तैयारी कर रहे हैं।"
इस बीच, जब गुरुवार को मामले की सुनवाई हुई तो जस्टिस अजय गडकरी की अगुवाई वाली खंडपीठ ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह तेलतुंबडे द्वारा दायर अंतरिम आवेदन को उचित अदालत के समक्ष रखे, क्योंकि NIA ने विशेष वकील संदेश पाटिल के माध्यम से एडवोकेट चिंतन शाह की सहायता से पीठ से आग्रह किया कि आवेदन पर उसी पीठ द्वारा सुनवाई की जाए, जिसने नवंबर 2022 में तेलतुंबडे को जमानत दी थी।