मामले में मुख्य पक्षकार नहीं हैं सलमान खान, CBI जांच की मांग वाली याचिका से उनका नाम हटाया जाए: बॉम्बे हाईकोर्ट

Update: 2024-06-11 05:12 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान का नाम उस याचिका से हटाने का निर्देश दिया, जिसमें खान के आवास के बाहर फायरिंग के मामले में आरोपी अनुज थापन की हिरासत में मौत की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच की मांग की गई।

जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस श्याम चांडक की खंडपीठ ने इस बात पर जोर दिया कि याचिका में खान के खिलाफ कोई आरोप या राहत नहीं मांगी गई। इसलिए उनकी संलिप्तता अनावश्यक है।

अनुज थापन 1 मई, 2024 को मुंबई पुलिस लॉक-अप के अंदर मृत पाए गए थे। पुलिस के अनुसार, थापन ने आत्महत्या की थी। हालांकि, थापन की मां रीता देवी ने गड़बड़ी का आरोप लगाया और दावा किया कि उनके बेटे के साथ हिरासत में शारीरिक रूप से मारपीट और यातना दी गई। अपनी याचिका में रीता देवी ने अपने बेटे की मौत की सीबीआई जांच की मांग की।

रीता देवी की याचिका में खान को भी प्रतिवादी के रूप में शामिल किया गया था, लेकिन अदालत ने याचिका से उनका नाम हटाने का आदेश दिया।

खंडपीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि खान को प्रतिवादी के रूप में रखने से मुख्य मुद्दे से ध्यान भटक गया, जो थापन की मौत थी। 14 अप्रैल, 2024 को दो मोटरसाइकिल सवार व्यक्तियों ने सलमान खान के बांद्रा स्थित आवास के बाहर गोलीबारी की। थापन, जो कथित तौर पर शूटरों को हथियार सप्लाई करने में शामिल था, उसको 26 अप्रैल, 2024 को गिरफ्तार किया गया था।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की मुख्य चिंता उसके बेटे की मौत थी और खान को प्रतिवादी के रूप में शामिल करने से इस फोकस से ध्यान हट गया। खंडपीठ ने कहा कि खान याचिका में आवश्यक पक्षकार नहीं हैं और उन्हें शामिल करने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि खान के खिलाफ कोई राहत नहीं मांगी गई थी, फिर भी उन्हें थापन की मौत के मामले में राज्य अपराध जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा चल रही जांच का हिस्सा होना चाहिए।

हालांकि, अदालत ने यह निर्णय सीआईडी ​​पर छोड़ दिया। इसने बताया कि खान को शामिल करके याचिकाकर्ता मुख्य मुद्दे से ध्यान हटा रहा था। अवकाशकालीन पीठ ने पहले मुंबई पुलिस को थापन की मौत की चल रही जांच पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया था कि जांच SID ​​को सौंप दी गई है और मजिस्ट्रेट जांच शुरू कर दी गई है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की है।

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