बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस स्टेशन में सप्लायर को भुगतान किए बिना एसी, वाटर-कूलर, टीवी, कंप्यूटर का इस्तेमाल करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए

Update: 2024-10-30 04:07 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट हाल ही में यह देखकर परेशान हुआ कि ठाणे शहर के पुलिस स्टेशन में एयर-कंडीशनर, वाटर कूलर, कंप्यूटर, एलईडी टीवी, प्रिंटर और अन्य कीमती इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल मुफ्त में किया गया। बाद में जब सप्लायर ने पैसे मांगे तो स्टेशन अधिकारियों ने बिना एक पैसा दिए उपकरण वापस कर दिए।

जस्टिस सारंग कोतवाल और जस्टिस डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ ने महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को आरोपों की जांच करने और उसके समक्ष रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।

जजों ने 23 अक्टूबर को पारित आदेश में कहा,

"कार्यकारी भाग पारित करने से पहले हमें इस मामले में एक परेशान करने वाली बात पर ध्यान देना चाहिए। शिकायत में लगाए गए आरोप काफी गंभीर हैं। सबसे पहले यह समझना मुश्किल है कि किसी विशेष पुलिस स्टेशन के पुलिस अधिकारी उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी निजी व्यक्ति से इतनी महंगी वस्तुएं कैसे ले सकते हैं। दूसरी बात, यदि आरोप सत्य हैं तो कुछ गंभीर कार्रवाई की जानी चाहिए।"

यह टिप्पणी ठाणे के व्यवसायी नैनेश पंचाल के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर खारिज करते हुए की गई, जिस पर ठाणे के कासरवडावली पुलिस स्टेशन ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के आपूर्तिकर्ता शिकायतकर्ता को धोखा देने के लिए मामला दर्ज किया था।

शिकायतकर्ता का मामला यह था कि पंचाल ने उससे एसी, कूलर, टीवी आदि जैसे कई मूल्यवान उपकरण खरीदे और इसके लिए 4.24 लाख रुपये का भुगतान नहीं किया। आरोप लगाया गया कि पंचाल ने उपकरणों की खरीद के लिए कोई पैसा नहीं दिया। उनके द्वारा दिए गए चेक बाउंस हो गए। हालांकि, शिकायतकर्ता और पंचाल के बीच विवाद अब सुलझ गया, क्योंकि दोनों पक्षों ने याचिकाकर्ता द्वारा शिकायतकर्ता को 3.75 लाख रुपये का भुगतान करने पर सहमति जताई है। इसलिए खंडपीठ ने इसे 'दीवानी विवाद' माना और एफआईआर और उसके बाद की कार्यवाही रद्द की।

पीठ एफआईआर रद्द कर रही थी तो उसने याचिकाकर्ता से भुगतान करने में देरी के बारे में जानना चाहा। तब याचिकाकर्ता ने जजों को बताया कि उसने कासरवडावली पुलिस स्टेशन और स्टेशन के कुछ विशेष अधिकारियों को कुछ एसी, एलईडी टीवी, कंप्यूटर, वाटर कूलर आदि की आपूर्ति की थी। हालांकि, पुलिस ने उसे कोई भुगतान नहीं किया। इसलिए उसने दिसंबर 2018 में ठाणे शहर के पुलिस आयुक्त को इस बारे में शिकायत दर्ज कराई।

जजों ने नोट किया,

"लगातार अपनी मांग को आगे बढ़ाने के बावजूद उसे उसका पैसा नहीं दिया गया। उसने प्रस्तुत किया कि उस शिकायत से कुछ नहीं निकला। उसके सामान वापस कर दिए गए, लेकिन इसके कारण उसे भारी नुकसान हुआ, जिसके परिणामस्वरूप उसने पहले शिकायतकर्ता को भुगतान करने में चूक की।"

इसलिए जजों ने महाराष्ट्र के डीजीपी को आरोपों की जांच करने का आदेश दिया।

खंडपीठ ने कहा,

“महाराष्ट्र राज्य के डीजीपी से अनुरोध है कि वह याचिकाकर्ता की शिकायत की जांच करने के लिए पुलिस उपायुक्त या समकक्ष रैंक के राज्य सीआईडी ​​से उपयुक्त पुलिस अधिकारी को नियुक्त करें। उक्त नियुक्त अधिकारी शीघ्रता से और किसी भी स्थिति में आज से तीन महीने की अवधि के भीतर जांच करेगा। इस न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।”

जजों ने मामले को फरवरी 2025 तक के लिए स्थगित कर दिया।

केस टाइटल: नैनेश पंचाल बनाम महाराष्ट्र राज्य (आपराधिक रिट याचिका 765/2024)

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