बॉम्बे हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल की अस्थाई जमानत बढ़ाई

Update: 2024-07-05 08:18 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने केनरा बैंक द्वारा जेट एयरवेज को दिए गए 538 करोड़ रुपये के कथित लोन चूक से उत्पन्न मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को दी गई अस्थाई जमानत चार सप्ताह के लिए बढ़ा दी।

जस्टिस एनजे जमादार ने यह आदेश पारित किया, जब गोयल ने हलफनामा प्रस्तुत किया। उक्त हलफनामा में कहा गया कि उनके डॉक्टर ने उन्हें उन्होंने चार सप्ताह के भीतर लेप्रोस्कोपिक फंडोप्लीकेशन सर्जरी कराने का सुझाव दिया है। जैसे ही उनके डॉक्टरों द्वारा उनकी प्री-ऑपरेशनल सर्जिकल फिटनेस की पुष्टि की जाती है, इसे कराने का प्रस्ताव रखा है।

गोयल ने गुण-दोष और मेडिकल आधार पर जमानत के लिए वर्तमान आवेदन दायर किया। उनकी अंतरिम जमानत बढ़ाने के बाद अदालत ने गुण-दोष के आधार पर मामले को विचार के लिए लंबित रखा।

गोयल ने अपने आवेदन में तर्क दिया कि उन्हें जमानत दी जानी चाहिए, क्योंकि वह जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली स्थितियों से जूझ रहे हैं। हाल ही में उनकी पत्नी का निधन हुआ है। उन्होंने कहा कि वह अपनी पत्नी की मृत्यु पर ठीक से शोक नहीं मना पाए, जिससे उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है।

उन्होंने कहा है कि वह बीमार और अशक्त हैं। मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से अक्षम होने पर उन्हें जेल में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके अधिकार का उल्लंघन होगा। उन्होंने कहा कि वह आवश्यक उपचार कराने में सक्षम नहीं हैं और वे अपनी पत्नी के लिए विदेश में अत्याधुनिक उपचार की संभावना तलाश रहे हैं।

उन्होंने आगे तर्क दिया कि वह जेट एयरवेज के दिन-प्रतिदिन के संचालन को अकेले नहीं संभाल रहे थे और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं। उनकी और जेट एयरवेज के प्रबंधन की नकारात्मक छवि बनाने के इरादे से लगाए गए।

इस साल मई में गोयल की पिछली जमानत याचिका में अदालत ने दो महीने के लिए अंतरिम जमानत मंजूर की थी, जिसमें कहा गया,

"यह व्यापक दलील कि चूंकि आवेदक को बेहतरीन उपचार मिल चुका है, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किए जाने का हक नहीं है, व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बहुमूल्य मूल्य को नजरअंदाज करती है। इस तरह के व्यापक प्रस्ताव को स्वीकार करना कि एक बार किसी व्यक्ति को अपेक्षित उपचार मिल जाने के बाद वह जमानत का हकदार नहीं है, चाहे उसकी स्वास्थ्य स्थिति कितनी भी गंभीर क्यों न हो, प्रावधान को लागू करने के विधायी इरादे को विफल कर देगा और प्रावधान को निरर्थक बना देगा।"

धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) की धारा 45(1) का प्रावधान अदालत को किसी अपराध के आरोपी व्यक्ति को जमानत पर रिहा करने का अधिकार देता है, यदि ऐसा व्यक्ति बीमार, अशक्त, महिला या 16 वर्ष से कम आयु का है।

न्यायालय ने कहा,

"आवेदक की आयु, वह जिस बीमारी से पीड़ित है, उक्त बीमारी के लिए अनुशंसित उपचार, आवेदक को होने वाली अन्य बीमारियां तथा आवेदक की पत्नी को होने वाली जानलेवा बीमारी के कारण उत्पन्न जीवन की स्थिति PMLA Act की धारा 45(1) के प्रावधान के तहत न्यायालय में निहित विवेकाधिकार के प्रयोग को उचित ठहराती है।"

गोयल को ED ने 1 सितंबर, 2023 को जेट एयरवेज से संबंधित 538.62 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्हें 10 अप्रैल, 2024 को विशेष पीएमएलए अदालत ने मेडिकल आधार पर स्थायी जमानत देने से इनकार किया, जिस कारण उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

गोयल की पिछली याचिका में इस बात पर जोर दिया गया था कि PMLA Act के तहत मुकदमे से पहले गिरफ्तारी का उद्देश्य जांच में सहायता करना और सबूतों से छेड़छाड़ को रोकना है, लेकिन इसे आरोपी के बुनियादी मानवाधिकारों के साथ संतुलित किया जाना चाहिए।

याचिका में इस बात पर जोर दिया गया कि वह और उनकी पत्नी कैंसर से पीड़ित हैं। उन्होंने तर्क दिया कि उनकी स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए जमानत देने से इनकार करना अमानवीय है और उन्हें वैकल्पिक उपचार तलाशने तथा दूसरी राय लेने की आवश्यकता है।

दलीलों पर विचार करने के बाद हाईकोर्ट ने दो महीने के लिए जमानत देने का फैसला किया था। गोयल की पत्नी का निधन जमानत मिलने के कुछ दिनों बाद हो गया।

इससे पहले फरवरी में स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने गोयल को मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत देने से इनकार किया था, लेकिन कैंसर के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने की अनुमति दी थी। पिछले साल हाईकोर्ट ने गोयल की गिरफ्तारी को रद्द करने से भी इनकार किया था।

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