बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पिछड़ा आयोग को पक्षकार बनाया

Update: 2024-07-04 05:57 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को पूर्व जज जस्टिस (रिटायर) सुनील शुक्रे की अध्यक्षता वाले महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (MSBCC) को नोटिस जारी किया, जिनकी अनुशंसा पर महाराष्ट्र सरकार ने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) अधिनियम के माध्यम से सार्वजनिक सेवा और शिक्षा में मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था।

चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मराठाओं को आरक्षण देने वाले SEBC अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं के समूह में MSBCC को प्रतिवादी बनाया।

जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की पीठ ने अपने आदेश में कहा,

"हम आयोग को पक्षकार बनाने की अनुमति देते हैं। हम आयोग को नोटिस भी जारी करते हैं, जिसका जवाब 10 जुलाई को दिया जाना है।"

पीठ वकील सुभाष झा और गुणरतन सदावर्ते द्वारा दायर दो अंतरिम आवेदनों पर विचार कर रही थी, जिसमें आयोग को कार्यवाही में पक्षकार बनाने की मांग की गई थी। दोनों ने दलील दी कि आयोग याचिका में आवश्यक पक्षकार है, क्योंकि आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही राज्य ने मराठों को आरक्षण देने के लिए SEBC कानून बनाया था।

उनकी प्रार्थनाओं का समर्थन राज्य सरकार ने भी एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ के माध्यम से किया, जिन्होंने कहा कि विशेषज्ञ निकाय होने के नाते आयोग अपनी रिपोर्ट को बेहतर तरीके से समझा सकता है, क्योंकि सभी याचिकाकर्ताओं ने रिपोर्ट, कार्यप्रणाली, निष्कर्षों और रिपोर्ट में शामिल आंकड़ों पर हमला किया।

इसलिए पीठ ने याचिकाकर्ताओं को याचिकाओं में MSBCC को पक्षकार के रूप में शामिल करने की अनुमति दी। पीठ ने MSBCC को 10 जुलाई को उसके समक्ष उपस्थित होने का भी आदेश दिया, जिसके बाद उसे याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि SEBC Act इस वर्ष 20 फरवरी को पारित किया गया और जस्टिस शुक्रे के नेतृत्व वाले आयोग की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा 26 फरवरी को अधिसूचित किया गया। रिपोर्ट में मराठा समुदाय को आरक्षण देने के औचित्य के रूप में "असाधारण परिस्थितियों और असाधारण स्थितियों" का हवाला दिया गया, जो राज्य में कुल आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से अधिक है।

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