बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से आश्रम स्कूलों स्टूडेंट को सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान करने के लिए उठाए गए कदमों पर हलफनामा दाखिल करने को कहा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह आश्रम के विभिन्न स्कूलों में स्टूडेंट को उचित सुविधाएं प्रदान करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल करे।
महाराष्ट्र में आश्रम स्कूलों की स्थिति से संबंधित एक जनहित याचिका (PIL) पर कोर्ट ने निर्देश जारी किए। रवींद्र तलपे द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया कि आश्रम स्कूलों में पीने के पानी, स्वच्छ भोजन और शौचालयों की कमी सहित बुनियादी सुविधाओं और सुरक्षा का अभाव है। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि इन स्कूलों में सुविधाओं और सुरक्षा उपायों की कमी के कारण कई छात्रों की मौत हुई है।
इससे पहले कोर्ट ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS), मुंबई को इन स्कूलों की सुरक्षा और सुरक्षा में कमियों के बारे में रिपोर्ट बनाने और स्थितियों को सुधारने के लिए सिफारिशें देने का निर्देश दिया।
चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें TISS द्वारा की गई सिफारिशों और उसके द्वारा उठाए गए कदमों के बीच की खाई का ब्यौरा दिया गया हो।
चीफ जस्टिस ने इन विद्यालयों की स्थिति पर निराशा व्यक्त की।
राज्य के वकील से बात करते हुए उन्होंने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
"क्या आपने कभी ऐसे संस्थानों का दौरा किया? कृपया ऐसे किसी संस्थान में जाएं और वहां रहने वालों की दुर्दशा देखें। आपने उन्हें आश्रम विद्यालय का नाम दिया और उनकी दुर्दशा देखें। समाज में उनके आत्मसात होने की समस्या है, उनकी शिक्षा, कपड़ों की समस्या है। किसी आश्रम विद्यालय में जाएं और फिर आप विभाग के सचिव को प्रभावित करने की बेहतर स्थिति में होंगे।"
केस टाइटल: रवींद्र उमाकांत तलपे और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य (CRPIL/69/2013)