BCI के पास लॉ स्कूलों का निरीक्षण करने का अधिकार: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कानूनी शिक्षा के नियमों को चुनौती देने से किया इनकार

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा जारी किए गए निरीक्षण नोटिस को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि नोटिस वैध है। BCI द्वारा बनाए गए कानूनी शिक्षा के नियम जिसके तहत वह लॉ कॉलेजों का निरीक्षण कर सकता है, वह अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं है।
फ़ैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि नोटिस न तो मनमाना था और न ही अवैध। कोर्ट ने कहा कि जिन नियमों के तहत BCI को लॉ कॉलेजों का निरीक्षण करने का अधिकार है, वे संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19(1)(g) का उल्लंघन नहीं करते हैं।
नाथीबाई दामोदर ठाकरसे महिला यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल द्वारा 2019 में दायर याचिका में कॉलेज के निरीक्षण के लिए BCI द्वारा जारी किए गए नोटिस को चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता ने नोटिस पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि BCI के पास कॉलेज का निरीक्षण करने का अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि BCI द्वारा बनाए गए कानूनी शिक्षा नियम एडवोकेट एक्ट के अनुरूप नहीं हैं। उन्होंने तर्क दिया कि BCI ने नियमों में अपने अधिकार का दायरा बढ़ाया। इस प्रकार, BCI निरीक्षण पर नियम नहीं बना सकता था, जब वह एडवोकेट एक्ट में अनुपस्थित था।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कॉलेज और यूनिवर्सिटी अलग-अलग संस्थाएं हैं और BCI कॉलेजों का निरीक्षण नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि कॉलेज के ऐसे निरीक्षण करने का अधिकार यूनिवर्सिटी के पास है, क्योंकि कॉलेज उससे संबद्ध है।
इस दलील का विरोध करते हुए BCI ने तर्क दिया कि संस्थानों में शिक्षा के मानक को बनाए रखने के लिए लॉ विद्यालयों का निरीक्षण करना उसका वैधानिक कर्तव्य है।
न्यायालय ने डॉ. मिलिंद साठे को मामले का एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया था और उन्होंने कहा कि कानूनी शिक्षा को बनाए रखने में BCI की प्रमुख भूमिका है। कानूनी शिक्षा के संबंध में BCI की मौलिक शक्तियों में लॉ कॉलेज के निरीक्षण जैसी सहायक शक्तियां शामिल हैं।
केस टाइटल: नाथीबाई दामोदर ठाकरसे महिला विश्वविद्यालय लॉ स्कूल बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य (WP/1501/2019)