बंबई हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप वी मार्ने की एकल न्यायाधीश पीठ ने भूषण इंडस्ट्रीज बनाम लोहासिंह रामअवध यादव के मामले में एक रिट याचिका पर निर्णय लेते हुए कहा कि सर्विस का त्याग एक तथ्य का प्रश्न है, जिसे जांच द्वारा स्थापित करने की आवश्यकता है। दोनों पक्षों की प्रस्तुतियों के बाद अदालत ने कहा कि घटनाओं के क्रम और प्रतिवादी और याचिकाकर्ता के बीच पत्राचार को देखते हुए, यह नहीं कहा जा सकता कि प्रतिवादी ने ड्यूटी पर रिपोर्ट करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता कभी नहीं चाहता था कि प्रतिवादी ड्यूटी में शामिल हो।
अदालत ने आगे कहा कि सेवा का परित्याग एक तथ्य का प्रश्न है जिसे जांच के माध्यम से स्थापित करने की आवश्यकता है। यदि याचिकाकर्ता को वास्तव में विश्वास है कि प्रतिवादी ने अपनी सेवाएं छोड़ दी हैं, तो कम से कम प्रतिवादी को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए था। चूंकि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी के बीच पत्राचार चल रहा था, इसलिए याचिकाकर्ता के लिए प्रतिवादी पर अपने कर्तव्यों से भागने का आरोप लगाते हुए जांच करना संभव था।
अदालत ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता का संस्थान बंद है और बंदी 20.03.2020 से प्रभावी हुई है, इसलिए प्रतिवादी को 20.03.2020 के बाद बकाया वेतन नहीं दिया जा सकता है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता की कंपनी बंद होने के कारण प्रतिवादी को बहाली देने का कोई सवाल ही नहीं है।
उपरोक्त टिप्पणियों के साथ, रिट याचिका को आंशिक रूप से अनुमति दी गई।
केस नंबरः रिट पीटिशन नंबर 1025/2024
केस टाइटलः भूषण इंडस्ट्रीज बनाम लोहासिंह रामअवध यादव