सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर को विनियमित करने वाले नियमों के अभाव में अनुच्छेद 162 के तहत जारी किए गए आदेशों का वैधानिक बल होगा: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पुष्टि की कि कर्मचारियों के ट्रांसफर को नियंत्रित करने वाले किसी भी नियम के अभाव में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत जारी किए गए कार्यकारी आदेश/सरकारी आदेश, जो ट्रांसफर से संबंधित दिशा-निर्देश निर्धारित करते हैं, का वैधानिक बल होगा।
“प्रशासनिक प्राधिकरण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए और G.O.Ms.No.75 दिनांक 17.08.2024 के अनुसरण में स्थानांतरण करते समय उसमें निर्धारित दिशा-निर्देशों/निर्देशों का पालन करेगा। वास्तव में प्राधिकरण विनियमों से बंधा हुआ है। बेशक, भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते समय न्यायालय अपनी राय को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता। इसे कार्यकारी निर्णयों की वैधानिकता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि ट्रांसफर और पोस्टिंग से संबंधित कार्यकारी निर्देश या प्रशासनिक निर्देश किसी कर्मचारी के पक्ष में स्थानांतरण या पोस्टिंग का दावा करने का कोई अपरिवर्तनीय अधिकार प्रदान नहीं करते। साथ ही नियोक्ता दिशा-निर्देशों/निर्देशों से बंधा होगा। इस न्यायालय की राय में प्रक्रिया निर्धारित करने वाले दिशा-निर्देशों का पालन करने में नियोक्ता की विफलता मनमानी के बराबर है। इस प्रकार, भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
जस्टिस सुब्बा रेड्डी सत्ती ने रजिस्टर्ड संघों के पदाधिकारियों द्वारा दायर रिट याचिकाओं के एक समूह में यह आदेश पारित किया, जिसमें उनके ट्रांसफर को जीओएमएस नंबर 75 दिनांक 17.08.2024 में उल्लिखित दिशा-निर्देशों के विरुद्ध बताते हुए चुनौती दी गई।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सरकारी आदेश के पैरा नंबर V के उप खंड संख्या 5 (ए) के अनुसार, मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघों के पदाधिकारियों को राज्य स्तर, जिला स्तर और संभाग/मंडल स्तर पर तब तक ट्रांसफर नहीं किया जा सकता, जब तक कि वे किसी विशेष स्टेशन पर 3 कार्यकाल या 9 वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर लेते। इस नियम का अपवाद खंड IV (11 और 12) था, जिसमें यह निर्धारित किया गया कि पदाधिकारियों को कारण दर्ज करने पर उक्त अवधि की समाप्ति से पहले स्थानांतरित किया जा सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि कोई कारण नहीं बताया गया, जिससे उनका ट्रांसफर अमान्य हो गया। बेंच के समक्ष विचार के लिए यह प्रश्न आया कि क्या प्रशासनिक आदेश/सरकारी आदेश वैधानिक रूप से मान्य होगा।
कोर्ट ने कहा,
"उपर्युक्त घोषणाओं के आलोक में यह न्यायालय इस विचार पर है कि कर्मचारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने वाले सरकारी आदेश नंबर 75 दिनांक 17.08.2024 में वैधानिक बल है।"
इस प्रकार, पदाधिकारियों द्वारा दायर याचिकाओं को स्वीकार किया गया। याचिकाओं के साथ-साथ एक अन्य समूह की सुनवाई की गई, जिसमें ITDA (एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी) या ITDA से ट्रांसफर को चुनौती दी गई, जिसे इस तथ्य के कारण खारिज कर दिया गया कि ITDA क्षेत्रों के संबंध में ट्रांसफर के नियम में कोई अपवाद नहीं बनाया गया, जैसे कि अधिकारियों के मामले में।
रत्नागिरी गैस एंड पावर (पी) लिमिटेड बनाम आरडीएस प्रोजेक्ट्स लिमिटेड पर भरोसा करते हुए न्यायालय ने दोहराया कि ट्रांसफर के मामलों में न्यायिक पुनर्विचार की शक्ति केवल स्पष्ट रूप से मनमाने मामलों तक ही सीमित होनी चाहिए, जो मौलिक और वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
कोर्ट ने आगे कहा,
ऊपर चर्चा को देखते हुए 2024 के डब्ल्यू.पी.सं. 21204, 21206, 21210, 22151, 22644, 22647 और 21535 को अनुमति दी जाती है। W.P.No.21865, 22098, 22395 और 22399 वर्ष 2024 को खारिज किया जाता है।
केस टाइटल: एस वी के कुमार बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और बैच।