नियोक्ता को केवल आपराधिक मामलों का खुलासा न करने के आधार पर नियुक्ति से इनकार करने की अनुमति देने वाला क़ानून/नियम अन्यायपूर्ण होगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई भी कानून/नियम/निर्देश जो नियोक्ता को केवल आपराधिक मामलों का खुलासा न करने के कारण उम्मीदवार को नियुक्ति से वंचित करने का अधिकार देता है, वह अन्यायपूर्ण और अनुचित होगा।
जस्टिस सलिल राय की पीठ ने यह भी कहा कि नियोक्ता द्वारा केवल इस तरह के गैर-प्रकटीकरण के कारण नियुक्ति से इनकार करने का कोई भी निर्णय प्रशासनिक कार्यों में निष्पक्षता और गैर-मनमानापन के संवैधानिक सिद्धांत के विपरीत होगा।
कोर्ट ने कहा, “हर गैर-प्रकटीकरण को अयोग्यता के रूप में व्यापक रूप से पेश करना अन्यायपूर्ण होगा और किसी उम्मीदवार को केवल इसलिए अयोग्य ठहराना मनमाना और अनुचित होगा क्योंकि उसने एक आपराधिक मामले का खुलासा नहीं किया था जो प्रकृति में मामूली था और एक छोटे अपराध से संबंधित था, जिसका खुलासा होने पर वह संबंधित पद के लिए अयोग्य नहीं होता।”
कोर्ट ने कहा कि किसी आपराधिक मामले के बारे में उम्मीदवार द्वारा खुलासा न किए जाने की स्थिति में, नियुक्ति के लिए उनकी उपयुक्तता का आकलन करते समय आरोपों की प्रकृति और गंभीरता, मुकदमे का परिणाम (इसमें यह भी शामिल है कि क्या बरी होना तकनीकी आधार पर था या पूरी तरह से बरी होना) और उम्मीदवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति जैसे कारकों पर विचार किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा,
"उम्मीदवार के चरित्र और पूर्ववृत्त के बारे में जिला मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट और जिला मजिस्ट्रेट की सिफारिशें प्रासंगिक दस्तावेज हैं, जिन पर नियुक्ति के लिए उम्मीदवार की उपयुक्तता तय करते समय नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा विचार किया जाना चाहिए।"
महत्वपूर्ण बात यह है कि एकल न्यायाधीश ने यह भी कहा कि किसी मामले में जो प्रकृति में तुच्छ हो या छोटा अपराध हो, नियोक्ता तथ्य को दबाने या गलत सूचना देने की गलती को अनदेखा कर सकता है, बशर्ते आवेदक नियुक्ति के लिए अन्यथा अयोग्य न हो।
ये टिप्पणियां अदालत ने पुलिस अधीक्षक, बलिया के उस आदेश को रद्द करते हुए कीं, जिसमें आशीष कुमार राजभर (याचिकाकर्ता) के कांस्टेबल के रूप में नियुक्ति के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उसने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को छुपाया था।
अदालत ने राज्य के अधिकारियों, यानी सचिव, गृह विभाग (पुलिस अनुभाग), यूपी सरकार, सचिव, यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड, पुलिस अधीक्षक (कार्मिक) उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय तथा जिला बलिया के पुलिस अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि याचिकाकर्ता को 2015 में अधिसूचित भर्ती के अनुसरण में कांस्टेबल के पद पर नियुक्त करने के लिए उचित नियुक्ति पत्र जारी किया जाए तथा याचिकाकर्ता को उसी पद पर कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति दी जाए।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता अपनी नियुक्ति के परिणामस्वरूप वेतन और अन्य भत्तों के साथ-साथ वरिष्ठता सहित सेवा लाभों का हकदार होगा, जो कि उसकी नियुक्ति की तिथि से ही प्रभावी होगा।
केस टाइटलः आशीष कुमार राजभर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य