पीड़िता ने खुद ही परेशानी को न्योता दिया, वह स्वयं इसके लिए जिम्मेदार: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कॉलेज स्टूडेंट से दुष्कर्म के आरोपी को दी जमानत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कॉलेज स्टूडेंट से दुष्कर्म के आरोपी व्यक्ति को जमानत दी। कोर्ट ने यह कहते हुए राहत दी कि पीड़िता ने स्वयं ही परेशानी को न्योता दिया और वह स्वयं इस घटना के लिए जिम्मेदार थी।
पीड़िता ने आरोप लगाया कि एक बार में मुलाक़ात के बाद आरोपी ने उसे नशे की हालत में अपने रिश्तेदार के फ्लैट पर ले जाकर दो बार दुष्कर्म किया।
पीड़िता का कहना था कि वह शराब के नशे में थी और आराम करने के लिए सहारे की जरूरत थी, इसलिए उसने आरोपी के साथ जाने पर सहमति जताई।
जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने जमानत देते हुए कहा,
"यह कोर्ट मानती है कि यदि पीड़िता के आरोपों को सत्य भी मान लिया जाए तो यह निष्कर्ष भी निकाला जा सकता है कि उसने खुद ही मुसीबत को आमंत्रित किया और वह स्वयं इसके लिए जिम्मेदार है। पीड़िता ने अपने बयान में भी इसी तरह की बात कही है। मेडिकल टेस्ट में उसका हाइमन फटा पाया गया लेकिन डॉक्टर ने यौन शोषण को लेकर कोई राय नहीं दी।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि पीड़िता एम.ए. की स्टूडेंट है। वह अपने कृत्य की नैतिकता और महत्व को समझने में सक्षम है जैसा कि उसने अपनी FIR में भी बताया।
पीड़िता के अनुसार वह स्वेच्छा से दिल्ली के एक बार में अपनी तीन महिला मित्रों के साथ गई, जहां उन्होंने शराब का सेवन किया और वह नशे में आ गई। बार में वह सुबह 3 बजे तक रुकी रही। इस दौरान आरोपी उसे बार-बार अपने घर चलने को कहता रहा।
नशे की हालत में सहारे की आवश्यकता होने पर वह उसके साथ जाने को तैयार हो गई।
पीड़िता का आरोप है कि रास्ते में आरोपी ने उसके साथ अश्लील हरकतें कीं और उसे नोएडा स्थित अपने घर के बजाय गुड़गांव स्थित एक रिश्तेदार के फ्लैट में ले गया, जहां उसने बलात्कार किया।
जमानत याचिका दायर करते हुए आरोपी ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि यदि सारे आरोप सत्य भी मान लिए जाएं तो यह मामला बलात्कार का नहीं बल्कि दोनों के बीच सहमति से बने संबंध का है।
यह भी तर्क दिया गया कि आरोपी दिसंबर, 2024 से जेल में है। उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और यदि उसे जमानत दी जाती है तो वह उसका दुरुपयोग नहीं करेगा और मामले की जल्द सुनवाई में सहयोग करेगा।
वहीं राज्य सरकार के एडवोकेट ने FIR के आधार पर जमानत का विरोध किया, लेकिन आरोपी द्वारा रखे गए तथ्यों का खंडन नहीं किया।
इन सभी दलीलों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा,
"मामले की परिस्थितियों अपराध की प्रकृति, साक्ष्यों, आरोपी की संलिप्तता और दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि आवेदक ने जमानत पाने के लिए एक उपयुक्त मामला बनाया है। अतः यह जमानत याचिका स्वीकृत की जाती है।"