आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पद के लिए ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन अनिवार्य नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Update: 2025-03-27 04:04 GMT
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पद के लिए ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन अनिवार्य नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्णय दिया है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर नियुक्ति के लिए यह अप्रासंगिक है कि उम्मीदवार ने स्नातक किया है या स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मेरिट सूची न्यूनतम योग्यता यानी हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की योग्यता के आधार पर तैयार की जानी चाहिए, न कि स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री के आधार पर।

याचिकाकर्ता ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर अपने चयन पर विचार करने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन उसका आवेदन इसलिए अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि वह तकनीकी गड़बड़ी के कारण अपने स्नातकोत्तर डिग्री प्रमाणपत्र को आवेदन पत्र के साथ अपलोड नहीं कर पाई थी।

न्यायालय द्वारा पूछताछ करने पर, याचिकाकर्ता के वकील ने 21.03.2023 के सरकारी आदेश के क्लॉज 7 को प्रस्तुत किया, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सहायिका के पदों की मेरिट सूची न्यूनतम योग्यता या समकक्ष योग्यता के आधार पर तैयार की जाएगी और अधिकतम शैक्षणिक योग्यता स्नातकोत्तर मानी जाएगी।

अदालत ने यह फैसला दिया कि स्नातक और स्नातकोत्तर योग्यता को वरीयता प्राप्त योग्यता के रूप में नहीं माना जा सकता है, जब तक कि इसके लिए कोई विशेष प्रावधान न हो और इन डिग्रियों के लिए कोई अतिरिक्त अंक आवंटित न किए गए हों।

अदालत ने निर्णय दिया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मेरिट सूची न्यूनतम योग्यता, अर्थात हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की योग्यता के अनुसार तैयार की जानी चाहिए, न कि उम्मीदवारों की स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री के आधार पर।

जस्टिस अजीत कुमार ने कहा, "स्नातकोत्तर डिग्री के आधार पर मेरिट सूची तैयार करने का प्रावधान केवल निदेशक प्रकृति का है। प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे न्यूनतम निर्धारित योग्यता के अनुसार मेरिट सूची तैयार करें और विज्ञापन के अनुसार हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की योग्यता के आधार पर अंक आवंटित करें, न कि स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री के आधार पर, क्योंकि प्रासंगिक सरकारी आदेश में इन्हें कोई वरीयता प्राप्त योग्यता नहीं माना गया है।"

इसके अनुसार, अदालत ने यह फैसला दिया कि याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी केवल इस आधार पर अस्वीकार नहीं की जा सकती कि वह स्नातकोत्तर डिग्री प्रस्तुत करने में असमर्थ रही। इसके अलावा, उसे किसी ऐसे उम्मीदवार से नीचे नहीं रखा जा सकता जिसने स्नातकोत्तर डिग्री प्रस्तुत की हो।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की मेरिट उसकी आंगनबाड़ी सहायिका के रूप में सेवा और/या हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट के अंकों के आधार पर तय की जानी चाहिए।


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