उम्र निर्धारण की जांच के दौरान भी नाबालिग को जेल में नहीं रखा जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2025-10-29 04:01 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किशोर न्याय अधिनियम (JJ Act), 2015 के तहत कोई भी आरोपी जो यह दावा करता है कि अपराध के समय वह नाबालिग था, उसे उम्र निर्धारण की जांच के दौरान भी जेल या पुलिस लॉकअप में नहीं रखा जा सकता।

जस्टिस सलील कुमार राय और जस्टिस संदीप जैन की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि —

“कानून के साथ संघर्ष में बालक (child in conflict with law) को 21 वर्ष की आयु तक जेल में नहीं रखा जा सकता, जब तक कि वह गंभीर अपराध में दोषी न हो और बोर्ड व बाल न्यायालय यह न तय करें कि उसका ट्रायल वयस्क के रूप में हो।”

पूरा मामला:

आरोपी, अपनी मां और भाई के साथ हत्या के आरोप में 2017 से नैनी सेंट्रल जेल में था। मुकदमे के दौरान उसने दावा किया कि अपराध के समय उसकी उम्र 14 साल 3 महीने 19 दिन थी। किशोर न्याय बोर्ड ने उसकी उम्र की पुष्टि की, पर ट्रायल कोर्ट ने उसे रिहा नहीं किया।

कोर्ट का निष्कर्ष

कोर्ट ने कहा कि —

• यदि आरोपी अपराध के समय 18 वर्ष से कम था, तो उसे पूरे ट्रायल के दौरान बालक माना जाएगा।

• उम्र निर्धारण की जांच के दौरान उसे सुरक्षित अभिरक्षा (protective custody) में रखा जा सकता है, जेल में नहीं।

• उम्र तय करने का अधिकार कोर्ट का है, न कि बोर्ड का, जब दावा कोर्ट में किया जाए।

कोर्ट ने आरोपी को जेल से रिहा कर ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया ताकि उसकी आयु का निर्धारण किया जा सके। यदि वह अपराध के समय बालक पाया जाता है, तो उसे किशोर न्याय बोर्ड को भेजा जाएगा।

Tags:    

Similar News