डिफॉल्टर SARFAESI एक्ट के तहत आयोजित नीलामी के खिलाफ लेनदार/नीलामी क्रेता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता, उसे डीआरटी के पास जाना होगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2024-04-22 07:44 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेसर्स हिमरी एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड और इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के अधिकारियों के खिलाफ शिप्रा ग्रुप ओर से शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है।

हाईकोर्ट ने माना कि डिफॉल्टर SARFAECI एक्ट, 2002 के प्रावधानों के तहत आयोजित नीलामी के खिलाफ लेनदार/नीलामी खरीदार के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता है। कोर्ट ने कहा ऐसे मामलों में संपत्ति की नीलामी, हस्तांतरण के संबंध में शिकायत SARFAESI अधिनियम के तहत ऋण वसूली न्यायाधिकरणों के समक्ष उठाई जानी चाहिए।

जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने फैसला सुनाया,

“सरफेसी एक्ट के तहत दंडात्मक कार्रवाई का विरोध करने पर आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की डिफॉल्टर की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना होगा। ऋण, कर्ज आदि संबंधित बैंकिंग लेनदेन के संबंध में विशेष न्यायाधिकरण यानि डीआरटी को विशेष क्षेत्राधिकार प्रदान करने की संसदीय दृष्टि का सम्मान किया जाना चाहिए। डीआरटी की ओर से विशेष रूप से विचारणीय मुद्दों पर सरफेसी अधिनियम के तहत कार्यवाही को बाधित करने के लिए डिफॉल्टर के कहने पर आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती।"

कोर्ट ने माना कि नीलामी खरीदार के पक्ष में सुरक्षित संपत्तियों के हस्तांतरण और नीलामी की प्रक्रिया संबंधित आरोपों को केवल ऋण वसूली न्यायाधिकरण के समक्ष SARFAESI अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार निस्तारित किया जा सकता है। न्यायालय ने माना कि हस्तांतरित सुरक्षित संपत्ति से परे अतिक्रमण, या नीलामी के संचालन में कथित अनियमितता आदि के अस्पष्ट आरोप, जिसे डिफॉल्टर/उधारकर्ता प्रमाणित नहीं कर पाया है और डीआरटी के समक्ष विचाराधीन हैं, वित्त कंपनी/लेनदार/नीलामी क्रेता उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करके मामला नहीं उठाया जा सकता है।

कोर्ट ने के विरुपाक्ष और अन्य बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य पर भरोसा किया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि SARFAESI एक्ट अपने आप में एक पूर्ण कोड है, जहां सुरक्षित ऋणदाता के लिए प्रक्रिया, जिसका उन्हें पालन करना है और उधारकर्ता सहित किसी भी पीड़ित पक्ष के लिए उपचार निर्धारित किए गए हैं।

न्यायालय ने माना था कि नीलामी प्रक्रिया या संपत्ति के मूल्यांकन में किसी भी विसंगति के लिए ऋण वसूली न्यायाधिकरण के समक्ष चुनौती दी जानी चाहिए। न्यायालय ने माना कि सुरक्षित ऋणदाता द्वारा SARFAESI अधिनियम की धारा 13 लागू करने के बाद नीलामी को रद्द करने की शक्ति केवल DRT के पास है।

सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि जहां SARFAESI अधिनियम के तहत कार्यवाही पर अंततः DRT और हाईकोर्ट ने निर्णय लिया है, वहां सक्षम न्यायालयों की ओर से पारित आदेशों पर पुनर्व‌िचार के लिए क्षेत्राधिकार पुलिस को जांच की अनुमति नहीं दी जा सकती है। आपराधिक शिकायतों को रद्द करते हुए, न्यायालय ने कहा कि "बैंकिंग प्रणाली को इस तरह की धमकी देकर फिरौती लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।"

तदनुसार, न्यायालय ने याचिकाएं स्वीकार कर लीं और हिमरी एस्टेट और आईएचएफएल के अधिकारियों के खिलाफ दायर एफआईआर को रद्द कर दिया।

केस टाइटलः हिमरी एस्टेट प्रा लिमिटेड और 4 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 2 अन्य [Criminal MISC. Writ Petition No. – 11838/2023]

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