इलाहाबाद हाईकोर्ट ने RLD प्रमुख जयंत चौधरी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाई

Update: 2024-01-10 06:41 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को आदर्श आचार संहिता और COVID-19 मानदंडों के कथित उल्लंघन पर राष्ट्रीय लोक दल (RLD) प्रमुख और राज्यसभा सदस्य जयंत चौधरी के खिलाफ एमपी/एमएलए कोर्ट, गौतमबुद्ध नगर में लंबित आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी।

जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाते हुए राज्य के वकील को 4 सप्ताह के भीतर मामले में जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया और मामले को 20 फरवरी, 2024 को सुनवाई के लिए पोस्ट किया।

पिछले महीने समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव को भी इसी मामले में हाई कोर्ट से राहत मिली थी।

चौधरी और यादव के खिलाफ आरोप इस आशय के हैं कि वे 3 फरवरी, 2022 को 300-400 अज्ञात व्यक्तियों के साथ लुहारली गेट, गौतमबुद्धनगर से नोएडा की ओर यात्रा कर रहे थे, जब सह-अभियुक्तों ने उनका स्वागत किया। उस प्रक्रिया के दौरान, एक बड़ी सभा इकट्ठी हो गई, जिसके परिणामस्वरूप COVID-19 के दिशानिर्देशों का उल्लंघन हुआ।

उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया कि उस समय सीआरपीसी की धारा 144 और आदर्श आचार संहिता भी लागू थी। रात 10 बजे से सुबह 08 बजे तक प्रचार पर प्रतिबंध था। इस तरह सीआरपीसी की धारा 144, COVID​​-19 दिशानिर्देशों के साथ-साथ आदर्श आचार संहिता -2022 के तहत उद्घोषणा का उल्लंघन किया गया।

जांच के समापन के बाद आवेदक सहित सभी नामित अभियुक्तों के खिलाफ दिनांक 12.10.2022 को आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया, जिस पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन)/एफटीसी ने 30.10.2023 को संज्ञान लिया और अभियुक्तों को ट्रायल का सामना करने के लिए तलब किया।

चौधरी के वकील की दलील का मुख्य आधार यह है कि उन्हें राजनीतिक कारणों से मामले में झूठा फंसाया गया और सत्तारूढ़ दल के प्रभाव में जांच अधिकारी ने मामले में निष्पक्ष जांच नहीं की।

आगे यह प्रस्तुत किया गया कि सह-अभियुक्त अखिलेश यादव के संबंध में मामले की कार्यवाही पर इस न्यायालय ने 5 दिसंबर, 2023 के आदेश के तहत पहले ही रोक लगा दी। चूंकि चौधरी का मामला सह-अभियुक्त अखिलेश यादव की तुलना में बेहतर स्थिति में है, इसलिए आवेदक अंतरिम राहत का भी हकदार है। यह भी बताया गया कि अखिलेश यादव द्वारा दायर उपरोक्त आवेदन में राज्य द्वारा अभी तक कोई जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया गया।

मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के साथ-साथ इस न्यायालय की समन्वय पीठ द्वारा सह-अभियुक्त अखिलेश यादव को राहत देते हुए पारित 5 दिसंबर, 2023 के आदेश पर विचार करते हुए न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया, मामले पर विचार करने की आवश्यकता है।

नतीजतन, अदालत ने मामले को 20 फरवरी को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया और निर्देश दिया कि लिस्टिंग की अगली तारीख तक आवेदक जयंत चौधरी के खिलाफ उपरोक्त मामले की आगे की कार्यवाही पर रोक रहेगी।

केस टाइटल-जयंत चौधरी @जयंत कुमार सिंह बनाम यूपी राज्य और अन्य

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