इलाहाबाद हाइकोर्ट ने धन शोधन मामले में MLA अब्बास अंसारी को जमानत देने से किया इनकार

Update: 2024-05-10 12:11 GMT

इलाहाबाद हाइकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने मऊ से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के MLA अब्बास अंसारी को धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002) के तहत उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में जमानत देने से इनकार किया।

सिंगल जज जस्टिस जसप्रीत सिंह ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनके खिलाफ मामले में पेश किए गए व्यापक धन के निशान को देखते हुए उन्हें राहत देने से इनकार किया।

कोर्ट ने कहा,

“फ्लो चार्ट सहित रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री पर विचार करते हुए जो स्पष्ट रूप से धन की उत्पत्ति को दर्शाता है और यह भी बताता है कि यह आवेदक के खातों में कैसे पहुंचता है। आवेदक द्वारा इसका उपयोग कैसे किया जाता है और आवेदक के खिलाफ ऐसी सामग्री है, जो उसे दो फर्मों मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन और आगाज़ से धन की आवाजाही और निशान से जोड़ती है।”

न्यायालय ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि वह इस स्तर पर पीएमएलए की धारा 45 के अनुसार प्रथम दृष्टया संतुष्टि बनाने के लिए खुद को राजी नहीं कर सकता है कि आवेदक दोषी नहीं है या जमानत पर कोई अपराध नहीं कर सकता है। ED के मामले के अनुसार, अंसारी ने धन शोधन के लिए दो फर्मों ( विकास कंस्ट्रक्शन और आगाज़) का इस्तेमाल किया।

उस पर PMLA की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया और नवंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया। ED का मामला यह है कि विकास कंस्ट्रक्शन नामक साझेदारी फर्म अंसारी द्वारा अनुसूचित अपराध करने और अपराध की आय उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मुख्य साधन था।

फर्म ने जालसाजी धोखाधड़ी और आपराधिक अतिक्रमण का सहारा लेकर मऊ और गाजीपुर जिलों में सरकारी जमीन हड़प ली। फर्म का इस्तेमाल सार्वजनिक ठेके हासिल करने के लिए किया जाता था इसलिए जब भी तत्काल फर्म द्वारा बोली लगाई जाती थी, तो ठेके हमेशा उक्त फर्म को ही मिलते थे।

उक्त फर्म गोदाम बनाने के लिए सार्वजनिक बैंकों से ऋण लेती थी जिसे बाद में भारतीय खाद्य निगम और उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम को किराए के रूप में दिया जाता था और उनसे प्राप्त किराया कई करोड़ रुपये था।

इसके अलावा नाबार्ड से 67 लाख से अधिक की सब्सिडी भी प्राप्त हुई। प्राप्त किराए से प्राप्त राशि न केवल मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन के खाते में बल्कि परिवार की दूसरी फर्म मेसर्स आशाज के खाते में भी भेजी गई और उसके बाद लेयर बनाकर नकदी के रूप में पैसा निकाला गया और विकास कंस्ट्रक्शन के ऋण खाते में जमा किया गया जिससे ऐसी दरों पर अचल संपत्तियां खरीदी जा सकें जो बाजार मूल्य से काफी कम थीं।

इस पृष्ठभूमि में ED ने आरोप लगाया कि आवेदक के खाते में कई उच्च-मूल्य के लेन-देन जमा और डेबिट किए गए थे जिसका आवेदक स्पष्टीकरण नहीं दे सका। ED ने यह भी आरोप लगाया कि फर्म विकास कंस्ट्रक्शन में प्रमुख शेयरधारक अफशर अंसारी (आवेदक की मां) और आतिफ रजा (मामाजी) हैं।

हालांकि अंसारी आय के स्रोत की व्याख्या नहीं कर सका खासकर उसके खाते से किए गए लेन-देन के संबंध में। अंसारी की ओर से पेश हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि अंसारी का फर्म मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन से कोई संबंध नहीं है न ही उसका इसके दैनिक मामलों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई लेना-देना है।

यह भी प्रस्तुत किया गया कि अंसारी अपराध की आय के कथित स्रोत से पूरी तरह अनभिज्ञ था। यह भी कहा गया कि अंसारी के खाते में उसकी मां या चाचा से जमा की गई कुछ धनराशि और प्रतिस्पर्धी उद्देश्यों के लिए आग्नेयास्त्रों के आयात के लिए उपयोग की गई राशि को आवेदक के हाथों में अपराध की आय नहीं माना जा सकता। हालांकि इन सभी दलीलों को खारिज करते हुए एकल न्यायाधीश ने कहा कि अंसारी का यह स्पष्टीकरण कि जब भी उसे धन की आवश्यकता होगी वह अपनी मां और मामा तथा नाना को सूचित करेगा तथा वे धन की व्यवस्था करेंगे जो प्राप्त हुआ तथा आवेदक को इसके अलावा कुछ भी नहीं पता था, विश्वसनीय नहीं है, खासकर तब जब अंसारी वर्तमान विधायक तथा जनता का निर्वाचित प्रतिनिधि है।

न्यायालय ने उसकी जमानत याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की,

"इस तथ्य पर विचार करते हुए कि आवेदक विधान सभा का सदस्य है तथा राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी है फिर भी उसे यह नहीं पता कि उसे धन कैसे दिया जा रहा है, जिसमें उसके रिश्तेदारों द्वारा उसके खेल तथा राजनीतिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए दिए गए धन की मात्रा भी शामिल है यह विश्वास पैदा नहीं करता है।"

केस टाइटल- अब्बास अंसारी बनाम प्रवर्तन निदेशालय,

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