इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ईसाई धर्म अपनाने और यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने की आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

Update: 2024-05-30 06:12 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह महिला स्कूल शिक्षिका की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, जिस पर 10वीं कक्षा के स्टूडेंट को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने और उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए दबाव डालने का आरोप है।

जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस शिव शंकर प्रसाद की पीठ ने मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 506, उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की धारा 3 और 5(1) तथा यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO Act) की धारा 9, 10 और 23 के तहत दर्ज दो अन्य को राहत प्रदान की।

न्यायालय ने यह आदेश याचिकाकर्ता-आरोपी के वकील द्वारा न्यायालय को अवगत कराए जाने के बाद पारित किया कि मामले की स्वतंत्र जांच की गई, जिसमें पता चला है कि शिक्षक के खिलाफ नाबालिग लड़के के आरोप मनगढ़ंत थे।

मूलतः, नाबालिग लड़के और उसके पिता (मामले में सूचना देने वाले) का मामला यह था कि उसकी शिक्षिका ने उसे ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास किया था। उसने उस पर उसके साथ यौन संबंध स्थापित करने के लिए दबाव भी डाला था।

दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं का मामला यह है कि जांच रिपोर्ट (विद्यालय के प्रधानाचार्य के निर्देश पर की गई) में दर्ज किया गया कि डांस कॉम्पीटिशन के अवसर पर स्टूडेंट ने शिक्षिका का मोबाइल नंबर लिया था। इसके बाद उसके मोबाइल फोन का उपयोग करके फर्जी आईडी बनाकर स्टूडेंट ने फर्जी आईडी पर चैटिंग शुरू कर दी तथा उस पर मानसिक दबाव भी डालना शुरू कर दिया।

इसके अलावा, जब मामला उजागर हुआ तो नाबालिग लड़के ने अपनी शिक्षिका के साथ यौन संबंध स्थापित करने के आरोप लगाने शुरू कर दिए, जो बिना किसी आधार के हैं।

इसके अलावा यह तर्क दिया गया कि इस जांच रिपोर्ट में यह कहा गया कि यद्यपि बच्चा नाबालिग है, फिर भी वह मानसिक रूप से मजबूत व्यक्ति है तथा दूसरों पर हावी है।

इस पृष्ठभूमि में, न्यायालय ने मामला रद्द करने की मांग वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए मामले की सुनवाई 10 जुलाई को तय की। साथ ही निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।

न्यायालय ने कानपुर के पुलिस आयुक्त को जांच को साइबर सेल को सौंपने का भी निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि यदि बच्चे ने महिला शिक्षक के मोबाइल फोन/आईडी का उपयोग करके कोई फर्जी अकाउंट बनाया है तो सेल रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

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