इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराने के आरोपी 'मौलवी' को जमानत देने से इनकार किया

Update: 2024-05-30 06:21 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में मस्जिद के मौलवी को जमानत देने से इनकार किया। उक्त मौलवी पर मानसिक रूप से विक्षिप्त नाबालिग लड़के को बहला-फुसलाकर उसका धर्म परिवर्तन कराने के बाद उसे जबरन 'मदरसे' में रखने का आरोप है।

जस्टिस समीर जैन की पीठ ने मौलवी को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ विशेष आरोप हैं। कथित पीड़ित ने भी सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज अपने बयान में उसके खिलाफ आरोप लगाए हैं।

अदालत आरोपी के मामले पर विचार कर रही थी, जिसे इस साल 18 फरवरी को आईपीसी की धारा 504 और 506 और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की धारा 3/5(1) के तहत गिरफ्तार किया गया था।

मामले में जमानत की मांग करते हुए आरोपी ने अदालत का रुख किया, जिसमें उसके वकील ने तर्क दिया कि उसे झूठे आरोप के आधार पर वर्तमान मामले में आरोपी बनाया गया।

यह भी तर्क दिया गया कि कथित पीड़ित मानसिक रूप से विक्षिप्त था और आवेदक ने न तो अपना धर्म बदला और न ही उसे धर्म बदलने के लिए मजबूर किया।

दूसरी ओर, एजीए ने जमानत की प्रार्थना का विरोध किया और प्रस्तुत किया कि आवेदक मस्जिद में मौलवी है, जिसने न केवल सूचनाकर्ता के मानसिक रूप से विक्षिप्त नाबालिग बेटे को अपना धर्म बदलने के लिए बहलाया, बल्कि उसे बहलाने के बाद उसे 'मदरसे' में रखा और उसके बाद जबरन उसका धर्म बदल दिया।

इस पृष्ठभूमि में, यह देखते हुए कि आवेदक मस्जिद में मौलवी है, पर मानसिक रूप से विक्षिप्त नाबालिग का जबरन धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाया गया और आरोपों की गंभीरता और प्रस्तुत साक्ष्य को देखते हुए अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया।

केस टाइटल - मौलवी सैयद शाद काज़मी @ मोहम्मद शाद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य [आपराधिक विविध जमानत आवेदन नंबर - 13628/2024]

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