इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मीन हड़पने के आरोपी वकीलों से जुड़े मामलों को नियमित सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस को भेजा, बेंच को नामांकित करने का आग्रह किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने ज़मीन हड़पने के आरोपी वकीलों से जुड़े कई मामलों को विशिष्ट पीठ को नामित करने के लिए चीफ जस्टिस को भेजा, जो इन मामलों की नियमित सुनवाई के लिए जिम्मेदार होगी।
जस्टिस राजन रॉय और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने इन मामलों में सुनवाई को सुव्यवस्थित और तेज करने के लिए यह आदेश पारित किया, जो मुख्य रूप से वकीलों के खिलाफ आरोपों से संबंधित हैं। इनमें संपत्तियों को हड़पने या हड़पने का प्रयास करने के लिए खुद को वकील के रूप में गलत तरीके से पेश करने वाले व्यक्ति भी शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, इनमें से कुछ मामले लखनऊ में जिला न्यायालय के संचालन में कथित रूप से बाधा डालने के लिए कुछ वकीलों के खिलाफ आरोपों से भी संबंधित हैं।
खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,
“वास्तव में, इस याचिका को नागरिक प्रकृति की याचिका के रूप में माना जा रहा है, लेकिन इसमें शामिल मुद्दा अन्य रिट याचिकाओं के समान है, जो इस समूह में सूचीबद्ध हैं और या तो आपराधिक प्रकृति की हैं, या सार्वजनिक हित में हैं। इसलिए हमारी राय है कि इन सभी मामलों की नियमित सुनवाई के लिए बेंच नामित करने के लिए इस मामले को माननीय चीफ जस्टिस के समक्ष रखा जाना चाहिए, जिसमें शामिल महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि क्षेत्राधिकार की कमी का कोई सवाल न उठे। यहां पहले से ही बताए गए कारणों के लिए, जैसे, कुछ याचिकाएं सार्वजनिक हित में हैं, जबकि अन्य नागरिक प्रकृति या आपराधिक प्रकृति के रूप में रजिस्टर्ड हैं।”
गौरतलब है कि मामले में नवंबर, 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कई उदाहरणों पर ध्यान दिया, जिसमें वकीलों ने अपनी वर्दी पहनकर नागरिकों की संपत्ति हड़पने में भू-माफियाओं की सहायता की।
उस मामले में न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को दिशानिर्देश जारी करने का भी निर्देश दिया कि वकीलों को न्यायालय परिसर के बाहर वर्दी पहनने से बचना चाहिए।
गौरतलब है कि दिसंबर, 2023 में लखनऊ के पुलिस आयुक्त ने हाईकोर्ट को आश्वासन दिया कि उन्होंने संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून और व्यवस्था), बहुत सीनियर आईपीएस के तहत स्पेशल सेल का गठन किया। अधिकारी कथित वकीलों द्वारा आम लोगों की संपत्ति पर कब्जा करने की शिकायतों पर गौर करें और भविष्य में भी ऐसी कोई शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई करें।
लखनऊ के पुलिस आयुक्त ने अदालत को यह भी बताया कि उक्त सेल के गठन को समाचार पत्रों और मीडिया सहित अन्य अनुमेय माध्यमों से प्रचारित किया जाएगा, जिससे जनता को इसके बारे में पता चल सके और ऐसी गतिविधियों पर जल्द से जल्द अंकुश लगाया जा सके।
मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस भी जारी किया। इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि इन सभी मामलों की नियमित सुनवाई के लिए बेंच नामित करने के लिए मामलों को चीफ जस्टिस (यदि संभव हो तो 17 जनवरी, 2024 को दिन के पहले पांच मामलों में से) के पास भेजा जाए।
केस टाइटल- अनिल कुमार खन्ना बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के माध्यम से. प्रिं. सचिव. होम लको. और अन्य जुड़े हुए मामलों के साथ।
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