सोहराबुद्दीन शेख की मुठभेड़ राजनीतिक और आर्थिक फायदे के लिए की गई : स्पेशल कोर्ट में पुलिस अफसर ने कहा
सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ केस में अदालत में बयान दर्ज कराते हुए केस के मुख्य जांच अधिकारी और सीबीआई के एसपी रहे अमिताभ ठाकुर ने कहा है कि सोहराबुद्दीन शेख की मुठभेड़ राजनीतिक और आर्थिक फायदे के लिए की गई थी।
मुंबई में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में दिए बयानों में फिलहाल ओडिशा में आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) के पद पर तैनात अमिताभ ठाकुर ने कहा कि इसका फायदा बीजेपी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष और गुजरात के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह, गुजरात के पुलिस अधिकारी डीजी बंजारा, राजकुमार पांडियन, अभय चूडास्मा और दिनेश एमएन को हुआ था।
अमिताभ ठाकुर ने कोर्ट में ये भी कहा कि मुठभेड़ के फौरन बाद पॉपुलर बिल्डर के मालिक रमन पटेल और दशरथ पटेल से डीजी बंजारा ने 60 लाख और अमित शाह ने 70 लाख रुपए लिए थे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले में जिन 22 लोगों को आरोपी बनाया गया है उनके पास सोहराबुद्दीन की हत्या करने की न तो कोई राजनीतिक वजह थी और न ही आर्थिक। हालांकि ठाकुर ने कहा कि इस बात को साबित करने के लिए उनके पास कोई सबूत नहीं हैं।
वहीं सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकीलों ने करीब 6 घंटे तक अमिताभ ठाकुर से जिरह की। अमिताभ ठाकुर ने अदालत को बताया कि जब 2005 में सोहराबुद्दीन की कथित मुठभेड़ हुई थी तो सभी 21 आरोपी पुलिसकर्मी उस समय ड्यूटी पर थे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इन लोगों को इनके आला अफसरों से आदेश मिले थे।गौरतलब है कि इस मामले में कुल 38 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया था। अदालत ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और सभी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों समेत 16 को बरी कर दिया गया था। फिलहाल जो 22 आरोपी हैं, उनमें पुलिस इंस्पेक्टर, असिस्टेंट इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर, सिपाही एक अन्य व्यक्ति शामिल है।गौरतलब है कि सोहराबुद्दीन को 26 नवंबर, 2005 को अहमदाबाद में हुई एक मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया गया था। फिर उसकी पत्नी कौसरबी को भी मार दिया गया।
कोर्ट में अमिताभ ठाकुर को वह आरोपपत्र भी दिखाया गया जिसमें कहा गया था कि मुठभेड़ से कुछ लोगों को सियासी फायदा मिला है। जब अदालत में उनसे राजनीतिक और आर्थिक फायदा पाने वालों के नाम पूछे गए तो उन्होंने अमित शाह, डीजी वंजारा, अभय चूडास्मा, राजकुमार पंडियन और दिनेश एमएन का नाम लिया।
वैसे जिन लोगों का नाम ठाकुर ने लिया है उन्हें 2014 से 2017 के बीच ट्रायल कोर्ट बरी कर चुका है और सीबीआई ने इन्हें बरी किए जाने के खिलाफ चुनौती याचिका भी दायर नहीं की थी लेकिन सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन ने बॉम्बे हाई कोर्ट में वंजारा, दिनेश एमएन और पांडियन को बरी किए जाने को चुनौती दी थी।