असम की तरह त्रिपुरा में भी हो NRC ? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, त्रिपुरा को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान कर असम की तरह नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर तैयार ने की एनजीओ, दोफा योकसामा बोडोल (त्रिपुरा के एक स्वदेशी पीपुल्स संगठन) द्वारा दायर याचिका याचिका पर केंद्र, त्रिपुरा राज्य, जनगणना आयुक्त और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने नोटिस जारी कर इस मामले को असम से संबंधित लंबित याचिकाओं के साथ टैग करने का निर्देश दिया है।
याचिका में कहा गया है कि असम में जिस तरह अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान के लिए NRC तैयार किया जा रहा है उसी तरह केंद्र सरकार द्वारा त्रिपुरा के स्थानीय लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
एनजीओ ने कहा कि असम राज्य में एनआरसी तैयार किया गया है जबकि त्रिपुरा के लिए ऐसा कोई पंजीकरण तैयार नहीं किया जा रहा है जो बांग्लादेश से अवैध आप्रवासियों के प्रवाह का सामना कर रहा है और त्रिपुरा राज्य में समस्या अधिक गंभीर है क्योंकि त्रिपुरा बांग्लादेश से तीन तरफ से घिरा है और उसकी सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं।
याचिकाकर्ता स्थानीय लोगों के बहुमत का प्रतिनिधित्व करते हैं। जनगणना आयुक्त का कर्तव्य है कि भारत के नागरिकों का जनगणना डेटा एकत्रित किया जाए और चुनाव आयोग को वैध मतदाताओं और भारत के नागरिकों की मतदाता सूची तैयार होगी लेकिन दोनों अपने कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वाह नहीं कर रहे हैं।
त्रिपुरा राज्य अवैध प्रवासियों के प्रवाह को रोकने के लिए अपने कानूनी दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा है। याचिका में कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए गए हैं जैसे कि भारत संघ केवल असम राज्य के लिए बांग्लादेशियों को चुनने की नीति को अपना सकता है, न कि त्रिपुरा के लिए, जो बांग्लादेशियों की अवैध प्रविष्टि से ज्यादा प्रभावित है।
एनजीओ यह भी जानना चाहता है कि क्या राज्य में बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी की प्रविष्टि राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा नहीं है क्योंकि इसने क्षेत्र में जनसांख्यिकीय संतुलन से छेड़छाड़ कर दी है। इसमें त्रिपुरा राज्य के लिए एनआरसी की तैयारी और अवैध आप्रवासियों की पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने के लिए दिशा निर्देश जारी करने की प्रार्थना की है।