जॉनसन एंड जॉनसन हिप इंप्लाट : सुप्रीम कोर्ट ने मांगा केंद्र सरकार से जवाब

Update: 2018-10-05 11:08 GMT

जॉनसन एंड जॉनसन के गड़बड़ी वाले हिप इंप्लाट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने शुक्रवार को केंद्र सरकार दो महीने में एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट भी कोर्ट में दाखिल करने के निर्देश भी दिए हैं। पीठ ने आदेश जारी किया कि याचिका की प्रति सेंट्रल एजेंसी में दी जाए और फिर ASG पीठ को बताएं कि क्या एक्सपर्ट कमेटी की कोई रिपोर्ट है। अगर ऐसी रिपोर्ट है तो वो कोर्ट के सामने रखी जाए।

दरअसल अरूण कुमार गोयंका ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका में जॉनसन एंड जॉनसन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। प्रभावित याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील विवेक नारायण शर्मा ने दावा किया है कि इंप्लांट में गडबडी के चलते 15800 लोग प्रभावित हुए हैं। याचिका में कहा गया है कि हिप इम्प्लांट से प्रभावित मरीजों का पता लगाया जाना चाहिए।

याचिका के मुताबिक ये बिक्री और प्रत्यारोपण जॉनसन और जॉनसन द्वारा किया गया है।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि सरकार द्वारा नियुक्त पैनल ने सिफारिश की है कि प्रत्येक रोगी को 20 लाख रुपये दिए जाएं जिन्हें संशोधित सर्जरी से गुजरना पड़ा लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। केंद्र ने पिछले साल इस मामले की जांच के लिए डॉ. अग्रवाल की कमेटी का गठन भी किया है।

याचिका में ये भी कहा गया है कि ये भी पता लगाया जाए कि जॉनसन एंड जॉनसन को बिना परीक्षण किसने हिप इंप्लांट की इजाजत दी। साथ ही मामले की जांच के लिए वरिष्ठ डॉक्टरों व पुलिस अफसरों की SIT बनाई जाए जो प्रभावित लोगों की जांच करे क्योंकि उनका जीवन खतरे में है।

याचिका में कहा गया है कि गैरकानूनी रूप से हिप इंप्लांट 2005 से चल रहा है और ये उनके संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार के खिलाफ है। इसके अलावा ये आपराधिक लापरवाही के समान है।

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