सभी राज्यों के विधिक अथॉरिटीज हर आपराधिक मामले में वकील और जेल में बंद आरोपी के बीच वीडियो कांफ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराएं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
‘इस तरह के प्रयासों से वकील और उसके मुवक्किल के बीच संवाद होने से न्याय दिलाने में मदद मिलेगी और यह क़ानूनी सलाह को सार्थक बनाएगा।’
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के क़ानूनी सेवाएं देने वाले प्राधिकरणों/समितियों से कहा है कि वे जेल में बंद आरोपी और उसके वकील के बीच या उस किसी भी व्यक्ति के बीच वीडियो कांफ्रेंस की सुविधा दिलाएं जो कि उस आपराधिक मामले के बारे में जानकारी रखता है और उस मामले में आरोपी जेल में है।
न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे और न्यायमूर्ति यूयू ललित ने दो विशेष अनुमति याचिकाओं को खारिज करने का आदेश देते हुए सभी राज्यों के कानूनी सेवा प्राधिकरणों/समितियों से कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति द्वारा जिस तरह की सुविधाएं दी जाती हैं वैसी ही सुविधाएं वे भी उपलब्ध कराएं।
नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति ने एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि अगर कोई अधिवक्ता किसी अभियुक्त से मिलना चाहता है तो वह वहाँ उपलब्ध वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा के माध्यम से ऐसा कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति के इन निर्देशों पर उस समय गौर किया जब एक वकील जो कि दो आपराधिक मामलों में आरोपियों की पैरवी कर रहा था, मामले के स्थगन की मांग की ताकि वह संबंधित आरोपियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस की व्यवस्था कर सके। स्थगन की मांग करते हुए उसने कहा कि सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति के निर्णयों के अनुसार यह आवश्यक है।
सुनवाई की अगली तारीख को वकील ने पीठ को सूचित किया कि वह प्रथम मामले में आरोपी के साथ संपर्क नहीं बना पाया लेकिन उसकी बहन से वह बात कर पाया पर दूसरे मामले में वह आरोपी से बात करने में सफल रहा।
इन दोनों आपराधिक मामलों को एक ही आदेश द्वारा निस्तारण कर दिया गया। पीठ ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति का इस तरह का निर्देश प्रशंसनीय है। हम अमूमन यह देखते हैं कि ऐसे अधिवक्ता जिन्हें सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति कोई मामला सौंपता है, उन्हें या तो आरोपी या फिर उन लोगों से बात करने का मौक़ा नहीं मिलता है जो मामले के बारे में कुछ जानते हैं। कई बार इससे अधिवक्ताओं के प्रयासों को काफी बड़ा धक्का लगता है।”
पीठ ने आगे कहा, “वकील और उसके मुवक्किल के बीच किसी तरह के संवाद से न्याय को बढ़ावा मिलेगा और क़ानूनी मदद सार्थक बन पाएगा। इसलिए हम सभी राज्यों की विधिक सेवा प्राधिकरणों/समितियों को आदेश देते हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाले सुविधा की तरह सुविधाएं उन आपराधिक मामलों में उपलब्ध कराएं जिसमें आरोपी जेल में हैं। वे वकील और आरोपी या फिर उस मामले के बारे में जानकारी रखने वाले किसी भी व्यक्ति के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराएंगे ताकि न्याय को बढ़ावा दिया जा सके।”