सिर्फ केंद्रीय होमियोपैथी परिषद होमियो कॉलेजों की जांच के लिए चिकित्सा निरीक्षकों की नियुक्ति कर सकता है : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-07-28 05:30 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने ‘The Temple Of Hanemann Homoeopathic Medical College And Hospital vs.  Union of India’ मामले में कहा है कि केंद्र सरकार होम्यो कॉलेजों की जांच के लिए चिकित्सा निरीक्षकों की नियुक्ति नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा है कि होमियोपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 के तहत यह अधिकार सिर्फ केंद्रीय होमियोपैथी परिषद (सीसीएच) को है।

 न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर ने पटना हाईकोर्ट के खंडपीठ के फैसले को निरस्त हुए कहा कि केंद्र सरकार को अनुमति देने और किसी विशेष योजना को अनुमोदित करने के लिए निरीक्षकों के दल की नियुक्ति करने का अधिकार है। खंडपीठ ने एकल पीठ के निर्णय को पलट दिया था जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने बहाल कर दिया है।

 पीठ ने कहा कि इस अधिनियम की धारा 17 के तहत इस तरह का अधिकार सिर्फ सीसीएच के पास है जो जांच के लिए निरीक्षकों के दल की नियुक्ति कर सकता है। कोर्ट ने कहा, “...केंद्र सरकार की भूमिका निगरानी की है न कि निरीक्षकों के दलों की नियुक्ति करने का क्योंकि ऐसा कोई प्रावधान इस अधिनयम 1973 में नहीं है।”

 विनियमन 3(5) के बारे में पीठ ने कहा, “यह प्रावधान केवल केंद्र सरकार और सीसीएच को जांच का आदेश देने का अधिकार देता है अगर इसकी जरूरत है जैसे कि किसी शिकायत की स्थिति में औचक निरिक्षण या जब भी ऐसा करना जरूरी होगा। इस विनियमन में इस बात का जिक्र नहीं है कि जांच कौन करेगा और चिकित्सा जांच के लिए दल की नियुक्ति कौन करेगा...”।

 कोर्ट ने कहा, “...जांच सीसीएच द्वारा नियुक्त दल करेगा। सीसीएच अधिनियम की धारा 17 या 18 के तहत जांचकर्ताओं का कोई दल निरीक्षकों को नियुक्त कर सकता है। हालांकि जांच का कार्य पूरा हो जाने के बाद इस रिपोर्ट के आधार पर अधिनियम के प्रावधानों और केंद्र सरकार के विनियमन के आधार के तहत कार्रवाई की जाएगी लेकिन इसकी अनुशंसा सीसीएच करेगा।”


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