परिसर खाली करने के बारे में कोर्ट को दिए लिखित आवश्वासन का उल्लंघन करने पर सुप्रीम कोर्ट ने किरायेदार के खिलाफ शुरू की अवमानना कार्रवाई [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-05-11 15:16 GMT

हम सिर्फ विशेष अनुमति याचिका को खारिज करके चुप बैठे नहीं रह सकते, पीठ ने कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने किरायेदार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए उसके विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई शुरू की है। इस किरायेदार ने परिसर खाली कर देने का लिखित आश्वासन कोर्ट को दिया था पर उसने इसका पालन नहीं किया।

वर्तमान याचिका कोर्ट की प्रक्रिया का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है और कोर्ट द्वारा पारित आदेश को नहीं माना गया है। न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया।

पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ताओं ने 22 जुलाई 2016 को जारी आदेश के बाद एक लिखित वादा किया था कि वे परिसर को खाली कर देंगे पर इन लोगों ने ऐसा नहीं किया और उलटे एक इसको लागू करने को लेकर आपत्तियां दर्ज कराई है जो कि आपत्तिजनक है...”

कोर्ट ने कहा कि वह सिर्फ विशेष अनुमति याचिका को खारिज भर कर देने तक सीमित नहीं रहेगा। याचिकाकर्ता को परिसर खाली करने के वादे के बाद भी इसमें जमे रहने का खामियाजा भुगतना होगा और दूसरा, उन्हें कोर्ट को दिए आश्वासन को नहीं मानने का परिणाम अवश्य ही भुगतना चाहिए। पीठ ने याचिकाकर्ताओं को 10 हजार रुपए प्रति माह की दर से उस समय से परिसर खाली करने के दिन तक के लिए यह राशि चुकाने को कहा है जब से उनको इसको खाली करने को कहा गया था।

अवमानना की कार्रवाई शुरू करते हुए पीठ ने किरायेदारों को नोटिस जारी किया और कहा कि वे अगली सुनवाई के दिन कोर्ट में उपस्थित रहें। कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि उसका आदेश को आज से शुरू होकर एक सप्ताह के भीतर तामील की जाए।

पृष्ठभूमि

यह मामला इस बात का एक जीता जागता उदाहरण है कि कैसे कुछ किरायेदार कोर्ट की प्रक्रिया का उल्लंघन करते हैं।

यह मामला 1992 का है जब कब्जा वापस लेने के लिए मुकदमा दायर किया गया। इस पर 2014 में फैसला आया। मार्च 2016 में यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा जिसने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी और परिसर को खाली करने के लिए तीन माह का समय दिया।

किरायेदारों ने जब परिसर को खाली नहीं किया तो मकान मालिक कोर्ट की शरण में फिर गया और कोर्ट ने उसे कब्जा लेने का वारंट जारी कर दिया। इस वारंट को स्थगित करने के किरायेदारों का आवेदन ख़ारिज कर दिया गया। इसके बाद किरायेदार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और अब वे अवमानना का सामना कर रहे हैं।


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