अगर जायज शिकायतकर्ता को अपील करने का अधिकार है तो वह आगे की जांच की मांग क्यों नहीं कर सकता? सुप्रीम कोर्ट की बड़ी पीठ करेगी इसकी जांच [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-05-08 08:06 GMT

जायज शिकायतकर्ता की मांग पर आपराधिक मामले की सुनवाई कर रही अदालत इसमें आगे की जांच का आदेश दे सकती है या नहीं, इस बात के निर्णय के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक वृहत्तर पीठ का गठन कर दिया। ऐसा 2009 में आपराधिक प्रक्रिया संहिता को संशोधित किये जाने के संदर्भ में किया गया है जिसके द्वारा पीड़ित को अपील का अधिकार दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ दायर एक याचिका की सनुवाई कर रहा था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने रीता नाग बनाम पश्चिम बंगाल सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर मामले में आगे जाँच की मांग की अपील ठुकरा दी थी।

रीता नाग मामले में कहा गया था कि शिकायतकर्ता के कहने पर आगे की जांच का आदेश देने का अधिकार आपराधिक न्यायालय को नहीं है।

न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने कहा, “यह फैसला इस फैसले के पहले मौजूद क़ानून के आधार पर दिया गया है। वर्ष 2009 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया जो कि 31 दिसंबर 2009 से लागू हुआ। इस संशोधन के अनुसार अगर पीड़ित को सीआरपीसी की धारा 372 के अधीन बरी किया गया है तो उसको अपील का अधिकार है। उपरोक्त संशोधन के मुताबिक़, सीआरपीसी की धारा 173 की आगे और जांच करने की जरूरत है। इसलिए हमें यह उचित लगता है कि इस मामले पर एक वृहत्तर पीठ गौर करे।”


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