फैमिली कोर्ट की निषेधाज्ञा के खिलाफ अपील की अनुमति पर अनुच्छेद 227 के तहत रिट याचिका की अनुमति नहीं : इलाहाबाद हाई कोर्ट [आर्डर पढ़े]
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए स्थगनादेश व अन्य आदेश के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत रिट याचिका कोर्ट में नहीं टिक सकता। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आदेश के खिलाफ फैमिली कोर्ट अधिनियम, 1984 की धारा 19(1) के तहत अपील की जा सकती है।
वर्तमान मामले में, पत्नी के खिलाफ स्थगनादेश को खारिज करने को लेकर दायर आवेदन को स्वीकार कर लिया गया और फैमिली कोर्ट ने अपने स्थगनादेश को वापस ले लिया। इस पर पति ने हाई कोर्ट में अनुच्छेद 227 के तहत याचिका दायर किया।
इस तरह की याचिका को चुनौती देने के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से दलील यह दी गई कि चूंकि फैमिली कोर्ट अधिनियम की धारा 19 के तहत अपील ‘अंतरवर्ती आदेश’ के खिलाफ नहीं है, इसलिए अनुच्छेद 227 के तहत दायर वर्तमान याचिका अदालत में टिक सकती है।
इस अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों और मामले के कानूनों का संदर्भ देते हुए न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला ने कहा कि इस तरह का आदेश ‘मध्यवर्ती आदेश’ के तहत आएगा जिससे अन्तिमता जुड़ी हुई है...और इसलिए यह फैमिली कोर्ट अधिनियम की धारा 19(1) के तहत अपील के योग्य है।
“यह स्पष्ट है कि फैमिली कोर्ट का स्थगनादेश देना या इससे मना करना सिर्फ शुद्ध रूप से ‘अंतरवर्ती आदेश’ की प्रकृति का नहीं होगा और ‘अंतरवर्ती आदेश’ होगा जिसके साथ अन्तिमता जुड़ा होगा और इसलिए यह फैमिली कोर्ट अधिनियम, 1984 की धारा 19(1) के तहत अपील के योग्य होगा,” कोर्ट ने कहा।