दिल्ली में लोक अभियोजकों के वेतनमान में संशोधन : केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया

Update: 2018-04-11 04:58 GMT

केंद्र ने पिछले हफ्ते दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने राज्यों के समान वेतनमान करने के लिए दिल्ली में सरकारी अभियोजकों का जवेतन बढ़ा दिया है।

 न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने अतिरिक्त सचिव पीके श्रीवास्तव को सुनवाई की अगली तारीख पर एक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है।  इस मामले को अब 17 अप्रैल को सूचीबद्ध किया गया है।

गौरतलब है कि कोर्ट ने सितंबर 2015 में दिल्ली सरकार को वेतनमानों में वृद्धि पर विचार करने और बिना किसी देरी के लागू करने का निर्देश दिया था। दिल्ली अभियोजक कल्याण संघ ने पिछले साल न्यायालय से 2015 के आदेश का अनुपालन ना करने के लिए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के " सोची समझी और जानबूझकर अवज्ञा " का आरोप लगाया था। दलील में आगे आरोप लगाया गया कि दिल्ली सरकार ने अभियोजन पक्ष को इंटरनेट सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अदालत को आश्वासन दिया था और उसे भी पूरा नहीं किया गया।

 " 1 सितंबर, 2015 के कैबिनेट फैसले को लागू करने के लिए इस अदालत के स्पष्ट निर्देश के बावजूद उत्तरदाताओं (केंद्र और दिल्ली सरकार) ने  अभी तक निर्देशों का पालन नहीं किया है।" प्रतिवादी 1 (केंद्र) और प्रतिवादी 2 (दिल्ली सरकार) ने जो रवैया दिखाया है वो इस अदालत की महिमा का उल्लंघन करता है।

उत्तरदाताओं ने जानबूझकर इस अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया है, "याचिका में उद्धृत किया गया।

 अवमानना ​​याचिका की लंबित अवधि के दौरान  गृह मंत्रालय (एमएचए) ने दावा किया था कि दिल्ली सरकार ने वेतन में संशोधन करने का कोई प्रस्ताव नहीं भेजा था। शपथ पत्र, जिस पर निदेशक ए के शर्मा के हस्ताक्षर थे, में यह भी कहा गया कि गृह मंत्रालय ने जनवरी में उपराज्यपाल को सूचित किया था कि उसे प्रस्ताव नहीं मिला है। इसके विपरीत  दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल राहुल मेहरा ने कोर्ट को सूचित किया था कि अगस्त 2015 में इस संबंध में आप सरकार ने  कैबिनेट में फैसला किया है। इस भ्रामक स्थिति के बावजूद  केंद्र ने अब कोर्ट को आश्वासन दिया है कि वेतनमानों को संशोधित कर दिया गया है।

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