भारत की सार्वजनिक नीति भारत में लागू कानून के सदंर्भ में है चाहे वो राज्य का कानून हो या केंद्रीय कानून : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-03-31 07:36 GMT

मैसर्स लॉयन इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स बनाम मध्य प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि  'भारत की सार्वजनिक नीति' भारत में लागू कानून को सदंर्भित करती है चाहे वो राज्य का कानून हो या केंद्रीय कानून।

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ मध्यस्थ को सौंपे गए अनुबंधों के निष्पादन के एक विवाद में मध्यस्थ न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए अवार्ड को रद्द   करने की कार्यवाही से संबंधित अपील से संबंधित था।

यह सवाल उठा कि क्या मध्यस्थ के सामने अधिनियम की धारा 16 (2) के तहत ना की गई आपत्तियों को अधिनियम की धारा 34 के तहत उठाया जा सकता है या नहीं।

अदालत ने एमएसपी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड बनाम मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के अपने पहले फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों चरण स्वतंत्र हैं। “ हम अधिनियम की धारा 34 के तहत आपत्ति के जरिए उठाए गए अधिकार क्षेत्र की याचिका पर कोई भी रोक नहीं देख रहे हैं भले ही धारा 16 के तहत कोई आपत्ति ना उठाई गई हो।"

 एमएसपी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के मामले में निर्णय लेने के दौरान, पीठ ने कहा कि इसमें एक अवलोकन है कि भारत की सार्वजनिक नीति राज्य कानून का उल्लेख नहीं करती और केवल एक अखिल भारतीय कानून के संदर्भ में है। उस मामले में  दो न्यायाधीशों की पीठ ने इस प्रकार देखा था: "जहां राज्य कानून के तहत एक कार्रवाई और केंद्रीय कानून के तहत एक कार्रवाई के बीच संघर्ष का सवाल उठता है तो भारत की सार्वजनिक नीति शब्द को संघ की नीति के संदर्भ के  समझा जाना जरूरी है। यह अच्छी तरह से जाना जाता है कि संविधान के अनुच्छेद 1 के अनुसार, 'भारत' नाम संघ राज्य का नाम है और इसके प्रदेश राज्यों में शामिल हैं। "

इस बात का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि ये टिप्पणियां सही कानून नहीं बताती, “ हमारे विचार में भारत की सार्वजनिक नीति भारत में लागू होने वाले कानून को संदर्भित करती है चाहे वो राज्य कानून हो या केंद्रीय कानून। तदनुसार, हम एमएसपी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में फैसले के पैराग्राफ 16 और 17 की विपरीत टिप्पणियों को पलटते हैं। "


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