छीना झपटी के लिए कड़ी सजा का प्रावधान का मामला : दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से पूछा, दिल्ली सरकार के पत्र पर उसने क्या कार्रवाई की [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-03-21 09:19 GMT

दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि दिल्ली सरकार ने उसको छीना झपटी के मामले में कड़ी सजा देने के लिए भारतीय दंड संहिता में संशोधन करने के बारे में जो पत्र लिखा था उस पर उसने क्या कार्रवाई की है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने केंद्र से इस बारे में पूछा है क्योंकि दिल्ली सरकार ने पीठ को बताया कि उसने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस बारे में पत्र लिखकर क़ानून में संशोधन का आग्रह किया था।

“… भारत सरकार ने रिकॉर्ड के रूप में कुछ भी नहीं कहा है। हम केंद्र सरकार को आदेश देते हैं कि वह दिल्ली सरकार द्वारा लिखे गए पत्र पर आज से चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करे”, पीठ ने अपने आदेश में कहा।

पीठ एडवोकेट प्रशांत मनचंदा की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में दिल्ली में छीना झपटी की वारदात के लिए कठोर सजा के प्रावधान की मांग की गई है।

मनचंदा ने कहा कि पुलिस छीना झपटी के अपराध में शामिल अपराधियों पर आईपीसी की धारा 379 और 356 के तहत मामला दर्ज करती है जिसके तहत अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है और अपराधियों को बहुत आसानी से जमानत मिल जाती है।

मनचंदा ने हरियाणा का उदाहरण दिया जिसने अक्टूबर 2015 में आईपीसी में धरा 379B जोड़ा और छीना झपटी के अपराध में लिप्त लोगों को कम से कम 10 साल के सश्रम कारावास की सजा का प्रावधान किया जिसे 14 साल तक बढ़ाया जा सकता है और और 25 हजार जुर्माने का भी प्रावधान किया।

इस बीच, दिल्ली पुलिस ने एक हलफनामा दायर कर कोर्ट को कहा, “…जहाँ तक याचिकाकर्ता की आशंका का सवाल है कि दिल्ली पुलिस छीना झपटी के मामलों को लेकर भेदभाव करती है, प्रतिवादी इसके प्रति काफी संवेदनशील है”।

“…क़ानून लागू करने वाली एजेंसी होने के कारण दिल्ली पुलिस को वर्तमान क़ानून की परिधि में रहते हुए काम करना पड़ता है, मामले के अनुसार वह एफआईआर दर्ज करती है”, दिल्ली पुलिस ने कहा।

इस मामले पर अब अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी।

मनचंदा ने अपनी याचिका में सार्वजनिक स्थलों पर छीना झपटी के कई वारदातों का जिक्र किया है और कैसे इस तरह के वारदातों में लोगों की मौत तक हो चुकी है।


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