"डीडीए = दिल्ली विनाश प्राधिकरण?" सुप्रीम कोर्ट ने मास्टर प्लान 2021 बदलने की कोशिश कर रहे डीडीए को लगाई फटकार

Update: 2018-02-06 11:54 GMT

क्या डीडीए अब दिल्ली विनाश प्राधिकरण बन रहा है ? आपने उपहार आग त्रासदी, मुंबई में हाल ही में कमला मिल्स की घटना या बवाना आग से कुछ नहीं सीखा। दिल्ली में हर कोई अपनी आँखें बंद किए है। आप बस कुछ होने का इंतज़ार कर रहे हैं.. आपदा का इंतजार ", जस्टिस  मदन बी लोकुर ने डीडीए से कहा। 

मौजूदा सीलिंग अभियान से व्यापारियों को बचाने के लिए मास्टर प्लान 2021 में बदलाव के प्रस्ताव पर दिल्ली विकास प्राधिकरण ( डीडीए) की खिंचाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने पिछली त्रासदियों से कुछ भी नहीं सीखा और ये तक कह दिया कि क्या  डीडीए का पूरा नाम  ‘दिल्ली डेस्ट्रेक्शन (विनाश ) प्राधिकरण ‘ है।

 "आप दबाव में क्यों झुकते हैं? आप दिल्ली के निवासियों के एक बड़े हिस्से के हितों को नहीं देख रहे हैं। अब आप मास्टर प्लान में परिवर्तन  करना चाहते हैं। क्या आप दिल्ली को नष्ट करने की योजना बना रहे हैं? डीडीए अब

दिल्ली विनाश प्राधिकरण बन रहा है। आपने उपहार आग त्रासदी, मुंबई में हाल ही में कमला मिल्स की घटना या बवाना आग से कुछ नहीं सीखा। दिल्ली में हर कोई अपनी आँखें बंद किए है। आप बस कुछ होने का इंतज़ार कर रहे हैं.. आपदा का इंतजार ", जस्टिस  मदन बी लोकुर ने डीडीए के वकील से कहा।

दरअसल हाल ही में डीडीए ने आवासीय क्षेत्रों में  दुकान-सह-निवास भूखंडों और परिसरों के लिए एकीकृत फ्लोर एरिया रेश्यो  (एफएआर) लाने का प्रस्ताव किया है और यह एक ऐसा कदम है, जो सीलिंग के खतरे का  सामना करने वाले व्यापारियों को बड़ी राहत दे सकता है।  अवैध निर्माण और अन्य नागरिक समस्याओं जैसे कमजोर अपशिष्ट प्रबंधन, बढ़ते प्रदूषण और पार्किंग की जगह की कमी का जिक्र करते हुए जस्टिस  लोकुर ने कहा, "देश में प्रदूषण का स्तर इतना खराब है कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 शहर भारत में हैं और भारत के इन 13 शहरों में दिल्ली शीर्ष पर है। मुझे नहीं पता कि दिल्ली में नागरिक प्रशासन क्या कर रहा है।"

अदालत ने डीडीए को एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है  जिसमें ये बताना है कि मास्टर प्लान 2021 में परिवर्तन की आवश्यकता क्यों है।

गौरतलब है डीडीए के प्रस्ताव से व्यापारियों को बड़ी राहत की उम्मीद थी, जो समान एफएआर की मांग कर रहे थे, क्योंकि हाल ही में नागरिक निकायों द्वारा कई संपत्तियों को सील कर दिया गया है। उत्तर, दक्षिण और मध्य दिल्ली में स्थानीय निकाय सीलिंग अभियान चला रहे हैं।

यह पिछले साल दिसम्बर में शुरू हुआ जब  सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त निगरानी समिति के निर्देश पर डिफेंस कॉलोनी मार्केट में 50 से अधिक दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी।

 सुप्रीम कोर्ट ने  31 जनवरी को कहा था कि दिल्ली में अवैध परिसरों की सीलिंग से संबंधित कानूनों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए

निगरानी समिति को दिए  गए जनादेश का मतलब यह नहीं है कि अन्य अधिकारी अपना काम नहीं करेंगे। अदालत ने दक्षिण दिल्ली में एक संगमरमर मार्केट के व्यापारियों द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की।  दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने निगरानी समिति के दिशानिर्देश पर ये सीलिंग अभियान चलाया था।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि  दिल्ली में भवनों के निर्माण के लिए कानून और नियम पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं।  इसने इस तरह की अवैध इमारतों  को पहचानने और सील करने के लिए कोर्ट की 2006 की निगरानी समिति को बहाल करने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार केजे राव, ईपीसीए के चेयरमैन भूरे लाल  और मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सोम झिंगन की निगरानी समिति की स्थापना 24 मार्च, 2006 को की थी।

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