कानूनी अदालत आम लोगों के लिए स्थापित होते हैं, बार एसोसिएशन नई अदालत की स्थापना का विरोध नहीं कर सकता : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-02-05 13:00 GMT

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हाल ही में एक याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि बार एसोसिएशन के सदस्यों के पेशे के प्रभावित होने की आशंका के आधार पर बार एसोसिएशन किसी नए कोर्ट की स्थापना को चुनौती नहीं दे सकता।

हाई कोर्ट ने एक अधिसूचना जारी कर निर्देश दिया था कि धमतारी के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश धमतारी के अपने वर्तमान कार्य के अलावा कुरुद में भी हर माह एक सप्ताह तक बैठेंगे। बार एसोसिएशन ने इस अधिसूचना को यह कहते हुए चुनौती दी कि इससे वकीलों और मुकदमादारों को भारी असुविधा उठानी होगी क्योंकि धमतारी से कुरुद की दूरी 22 किलोमीटर है।

न्यायमूर्ति संजय अग्रवाल ने कहा कि यह एक शिविर अदालत होगा न कि स्थाई रूप से स्थापित होने वाला लिंक कोर्ट। कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ इसलिए कि याचिकाकर्ता बार एसोसिएशन का सदस्य है, वह एक नए कोर्ट की स्थापना का विरोध नहीं कर सकता क्योंकि यह जन नीति का प्रश्न है और अदालतों की स्थापना आम लोगों/मुकदमेदारों की सुविधा के लिए की जाती है। कोर्ट ने कहा, “कुरुद शिविर अदालत की स्थापना का विरोध करने के लिए किसी मुकदमेदार ने अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया है।”

कोर्ट ने आगे कहा, “कानूनी अदालत आम लोगों के लिए बनाए जाते हैं। कोई मुकदमादार जो अदालत आता है, वह न्याय का उपभोक्ता है। बार के सदस्यों और जजों का कार्य और उनकी जिम्मेदारी एक दूसरे के पूरक हैं। बार के सदस्यों और जजों का अंतिम लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि आम आदमी को न्याय मिले। आम नागरिकों को शीघ्रता से न्याय मिले यह सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है।” 


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