रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क को उसके पंजीकृत मालिक को बताए बिना समाप्त नहीं किया जा सकता : बॉम्बे हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में “क्लीटोलिन’ ट्रेडमार्क को रिकॉर्ड रजिस्टर से हटाने के खिलाफ एक याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह किसी ट्रेडमार्क को तभी हटाया जा सकता है जब ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 की धारा 25(3)के तहत इसकी पूर्व सूचना दी जाए।
न्यायमूर्ति आर एम बोर्डे और न्यायमूर्ति आरजी केतकर की पीठ ने क्लीनेज प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर गौर किया। यह कंपनी वाशिंग और क्लीनिंग में प्रयुक्त होने वाले सामान बनाती है।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता ने “क्लीटोलिन” नामक ट्रेडमार्क के पंजीकरण के लिए आवेदन दिया था जिसे स्वीकार कर लिया गया। इस ट्रेडमार्क को 1988 और 2009 के बीच कई बार नवीनीकृत किया गया। हालांकि, इस ट्रेडमार्क का 21 अगस्त 2009 को नवीकरण होना था पर याचिकाकर्ता इसके लिए समय पर आवेदन नहीं दे पाया।
इसके बाद यह बात सामने आई कि इस ट्रेडमार्क को रजिस्टर से हटाया जा सकता है।
फैसला
याचिकाकर्ता का कहना है कि रजिस्ट्रार ऑफ़ ट्रेड मार्क्स भी ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 की धारा 25(3)के तहत जरूरी नोटिस जारी करने से चूक गया। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस चूक के बाद इसके नवीकरण की अनुमति उसे मिलनी चाहिए। इस बारे में उसने सिप्ला लिमिटेड बनाम रजिस्ट्रार ऑफ़ ट्रेड मार्क्स एवं अन्य मामले में दिए गए फैसले पर यकीन जताया।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार कर ली और रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि वह इस ट्रेडमार्क के नवीकरण के आवेदन पर पुनर्विचार करे।