सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से तीन दशक से जेल में बंद अभियुक्त की मदद करने को कहा [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-01-11 07:16 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने ने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से कहा है कि वह जेल में लगभग 30 साल बिताने वाले अभियुक्त की मदद करे ताकि वह हाई कोर्ट में जरूरी याचिका दायर कर सरकार के आदेश को चुनौती दे सके। सरकार ने समय से पहले उसको रिहा करने की अपील खारिज कर दी है।

अभियुक्त अशोक कुमार ने अपनी अपील खारिज कर दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में सरकारी आदेश को चुनौती दी। UP Prisoners’ Release on Probation Act, 1938 के अधीन अभियुक्त ने सरकार से उसको समय से पहले रिहा करने की अपील की थी।

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर बनुमथी की पीठ ने कहा कि समय से पहले अभियुक्त को बरी नहीं करने का सार्थक आदेश सरकार ने दिया है।

पीठ ने कहा, “हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता को 27 दिसंबर 2017 को दिए गए आदेश को अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती देने का मौक़ा मिलना चाहिए...”।

इसके बाद पीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से याचिकाकर्ता को जरूरी कानूनी मदद देने को कहा ताकि वह हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर सके। पीठ ने हाई कोर्ट से भी अनुरोध किया कि अगर उसके पास यह अपील आती है तो वह इस पर जितना जल्दी हो सके अंतिम आदेश दे यह ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता ने लगभग 30 साल जेल में गुजारे हैं। याचिकाकर्ता ने कुल 28 साल तीन महीने और 28 दिन बिना किसी छूट के और 36 साल नौ महीने 13 दिन छूट के साथ जेल में गुजारे हैं।


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