सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से कहा, बिहार को रणजी ट्राफी में खेलने दें

Update: 2018-01-05 04:25 GMT

बिहार में क्रिकेट के लिए यह अच्छी खबर है। अब बिहार के क्रिकेट खिलाड़ी भी राष्ट्रीय स्तर पर यह खेल खेल सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीअई से कहा है कि वह बिहार को रणजी ट्राफी और अन्य घरेलू टूर्नामेंट में खेलने की अनुमति दे। बिहार 14 साल बाद राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेल पाएगा।

बिहार ने अंतिम बार अपना रणजी मैच 2003-04 में खेला था जब महेंद्र सिंह धोनी उसके कप्तान थे।

बिहार और झारखंड में आपसी लड़ाई और बीसीसीआई के साथ उनकी भिड़ंत के कारण बिहार को बीसीसीआई से निकाल दिया गया और उसकी जगह झारखंड को देश के घरेलू टूर्नामेंटों में खेलने का अधिकार मिला।

2001 में नवनियुक्त बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने बीसीए की मानयता रद्द कर दी थी। उस समय बीसीए के अध्यक्ष लालू यादव थे और झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन को पूर्ण सदस्यता दे दी थी।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने आज स्पष्ट किया कि बिहार, जिसे राष्ट्रीय स्तर का टूर्नामेंट खेलने की अनुमति नहीं दी जा रही थी, अब उसे अवश्य ही क्रिकेट खेलने दिया जाए।

पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का चुनाव हुआ है और अब राज्य में खेल के आयोजनों का जिम्मा इसी के हाथ में होगा।

कोर्ट ने कहा, “यह आदेश क्रिकेट की भलाई को ध्यान में रखते हुए दिया गया है”।

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश आदित्य वर्मा की अपील पर आया है जो कि क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बिहार के सचिव हैं। वर्मा बिहार को रणजी ट्राफी में स्थान दिलाने के लिए पिछले दो वर्षों से संघर्षरत रहे हैं।

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