सोहराबुद्दीन ट्रायल : पत्रकारों ने मीडिया गैग आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी
सोहराबुद्दीन शेख, कौसर बी और तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड मामले की सुनवाई की रिपोर्टिंग पर रोक के सीबीआई कोर्ट के जज के आदेश को नौ पत्रकारों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
29 नवंबर को सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड की सुनवाई कर रहे सीबीआई के विशेष जज सुनील कुमार शर्मा ने सख्त कदम उठाते हुए मीडिया को निर्देश दिए थे कि वो कोर्ट की कार्रवाई की रिपोर्टिंग ना करे। हालांकि अदालती कार्रवाई के दौरान मीडियाकर्मी कोर्ट में मौजूद रह सकते हैं लेकिन उसकी रिपोर्टिंग नहीं कर सकते।
याचिकाकर्ताओं में अखबार और टीवी से जुडे विभिन्न मीडिया संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले पत्रकार शामिल हैं। याचिका में कहा गया है कि ये गैग आदेश अवैध है और विशेष सीबीआई जज के पास कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और ना ही दंड प्रक्रिया के तहत जज इसके लिए अधिकृत है।
यह याचिका में तर्क दिया गया है कि विशेष सीबीआई जज ने मामले में गलत रिपोर्टिंग की आशंका के चलते ये आदेश जारी किया जबकि मीडिया 5 साल से अधिक से मामले की रिपोर्टिंग कर रहा है और आज तक गलत रिपोर्टिंग की कोई घटना नहीं हुई है।
याचिका में कहा गया है, "ट्रायल कोर्ट को ये मानना चाहिए कि इस मामले में सार्वजनिक हित और हमारी आबादी का एक तत्व शामिल है, इसलिए सभी को ये जानने का अधिकार है कि सुनवाई में क्या हो रहा है। आरोपी व्यक्तियों, जिनमें से लगभग सभी पूर्व पुलिस अधिकारी हैं, वे गुजरात और उसके आसपास फर्जी मुठभेड़ में लगे आरोपों पर ट्रायल का सामना कर रहे हैं।”
क्या है केस ?
2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को गुजरात पुलिस ने हैदराबाद से अगवा किया। आरोप लगाया गया कि दोनों को फर्जी मुठभेड में मार डाला गया। शेख के साथी तुलसीराम प्रजापति को भी 2006 में गुजरात पुलिस द्वारा मार डाला गया। उसे सोहराबुद्दीन मुठभेड का गवाह माना जा रहा था।
2012 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल को महाराष्ट्र में ट्रांसफर कर दिया और 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रजापति और शेख के केस को एक साथ जोड दिया।
शुरुआत में जज जेटी उत्पत केस की सुनवाई कर रहे थे लेकिन आरोपी अमित शाह के पेश ना होने पर नाराजगी जाहिर करने पर अचानक उनका तबादला कर दिया गया। फिर केस की सुनवाई जज बी एच लोया ने की।
अब सीबीआई के पूर्व जज लोया की संदिग्ध मौत की खबर कारवां में आने के बाद मीडिया में कई खबरें प्रकाशित की गई।
बचाव पक्ष के वकील वहाब खान ने इन कैमरा के लिए जज बी एच लोया की मौत पर मीडिया की खबरों को आधार बनाया।
पत्रकारों की ओर से वकील अबद पोंडा और अभिनव चंद्रचूड पेश होंगे और इस मामले की सुनवाई 12 जनवरी, 2018 को हो सकती है।