कानूनी पेशे को व्यवसाय नहीं मानें; दिल्ली के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशन की अरुण जेटली से अपील - कानूनी पेशे को जीएसटी से अलग रखें

Update: 2017-12-24 08:17 GMT

वित्त मंत्री अरुण जेटली को भेजे पत्र में आल डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन ऑफ़ दिल्ली की संयोजन समिति ने कानूनी पेशे को जीएसटी से अलग रखने की मांग की है।

जेटली को भेजे पत्र में कहा गया है कि कानूनी पेशे को “व्यवसाय” की श्रेणी में रखे जाने से इस नेक पेशे में लगे लोगों को गहरा धक्का लगा है।

पत्र में कहा गया है कि “यह अधिनियम पीछे की ओर चल रहा है और यह कानूनी पेशे के अस्तित्व और चरित्र को नष्ट कर देगा।” इसमें आगे कहा गया है कि चिकित्सा पेशे को एक अलग अधिसूचना द्वारा जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है और कहा है कि यह भेदभाव अनावश्यक और अवांछित है।”

जेटली को दिए पत्र में समिति ने सरकार के इस कदम के परिणाम से आगाह कराया और कहा कि कानूनी पेशे को कर के दायरे से बाहर रखा जाए। पत्र में कहा गया है :

“कोर्ट लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि कानूनी पेशे का मुख्य काम न्याय उपलब्ध कराना है। यह एक नेक पेशा है और इसकी बहुत ही ऊंची परंपरा है और सदा से ही यह समाज की जरूरतों को पूरा करता आया है। इसके अलावा, एडवोकेट को कोर्ट का अधिकारी माना जाता है और ये न्याय दिलाने में योगदान देते हैं। न्यायपालिका लोकतंत्र का एक स्तंभ है और वकीलों की मदद के बिना यह अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर सकता पर अगर कानूनी पेशा ही ज़िंदा नहीं रहा तो यह पूरी व्यवस्था ही ध्वस्त हो जाएगी...

...आम लोग इस मामले के बारे में पिछले कुछ समय से अवगत हैं और इसे पहली बार उठाया नहीं जा रहा है। बार को जो गुस्सा और चिंता है उससे सरकार इतनी अवगत है कि इस मुद्दे पर विचार विमर्श हुआ है पर अभी तक इसे दूर करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है। हम इसलिए, आपसे आग्रह करते हैं कि आप इस बारे में जरूरी अधिसूचना जारी कर कानूनी पेशे को जीएसटी अधिनियम से पूरी तरह बाहर कर दें।”

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