केंद्र को उत्तराधिकार मामले पर याचिका दायर करने से इसलिए छूट नहीं मिल सकती क्योंकि विधि आयोग समान नागरिक संहिता की जांच कर रहा है : दिल्ली हाई कोर्ट [आर्डर पढ़े]

Update: 2017-12-14 12:56 GMT

दिल्ली हाई कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के उत्तराधिकार से संबंधित क़ानून को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाबी हलफनामा दायर करने से केंद्र को छूट देने से मना कर दिया। केंद्र सरकार ने कहा था कि समान आचार संहिता का मुद्दा विधि आयोग के विचाराधीन है ऐसे में जवाबी हलफनामा दाखिल करने से छूट दी जाए।  लेकिन कोर्ट ने छूट देने से इनकार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका में जवाबी हलफनामा दाखिल करने से छूट के लिए उक्त आधार नहीं हो सकता और केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह छह हफ्ते में जवाबी हलफनामा दाखिल करे और अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 9 अप्रैल की तारीख तय कर दी।

विधि आयोग समान नागरिक संहिता के मुद्दे की जांच कर रहा है। केंद्र सरकार के निर्देश पर वह इसकी जांच करने के बाद इस बारे में रिपोर्ट पेश करेगा।

विधि आयोग ने पिछले साल अक्टूबर में संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत पारिवारिक क़ानून की समीक्षा और उसमें सुधार के संदर्भ में लोगों की राय मांगी थी। अनुच्छेद 44 सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की बात करता है। विधि आयोग ने पारिवारिक क़ानून में किस तरह के सुधार किए जाएं इस बारे में लोगों की राय प्राप्त करने के लिए प्रश्नावली तैयार की थी और इन्हें लोगों को दी गई थी। लोगों के विचार इस वजह से मांगे गए थे ताकि देश की विविधता और उसकी बहुलता के स्वरूप से किसी भी तरह का समझौता किए बिना सामान नागरिक संहिता में संशोधन किया जा सके।


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