यूनिटेक मामला : सुप्रीम कोर्ट ने NCLT के आदेश पर रोक लगाई, केंद्र ने मांगी माफी
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ( NCLT) के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें केंद्र सरकार को रियल स्टेट कंपनी यूनिटेक के प्रबंधन को टेकओवर करने को कहा गया था।
सुप्रीम कोर्ट के कडे रूख के बाद बुधवार को केंद्र की ओर से AG के के वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच से माफी मांगी और कहा कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान NCLT नहीं जाना चाहिए था।
मंगलवार को ही रियल स्टेट कंपनी यूनिटेक पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ( NCLT) के दखल देने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर कडी नाराजगी जाहिर की थी।
मंगलवार को NCLT के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की अगवाई वाली बेंच ने कहा कि जब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है तो NCLT को ऐसे आदेश जारी करने की क्या जरूरत थी ? कोर्ट ने कहा कि ये परेशान करने वाला है।कोर्ट ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार को NCLT जाने से पहले एक बार सुप्रीम कोर्ट से भी इजाजत लेनी चाहिए थी।
इस दौरान केंद्र की ओर से पेश ASG तुषार मेहता ने कहा कि मामले में उन्हें केंद्र से दिशा निर्देश लेने होंगे।
वहीं यूनिटेक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि NCLT के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि पहले से ही मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। ऐसे में NCLT कैसे कोई आदेश जारी कर सकता है ?
दरअसल रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक ने सुप्रीम कोर्ट में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके तहत केन्द्र सरकार को कंपनी को कंपनी की बागडोर संभालने के लिए कहा गया था।
दरअसल NCLT ने 8 दिसंबर को केंद्र सरकार को कर्ज के बोझ तले दबी इस कंपनी के 10 निदेशकों की नियुक्ति करने की अनुमति दे दी थी।
जस्टिस एम. एम. कुमार की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय NCLT बेंच ने सरकार को 20 दिसंबर तक निदेशक के तौर पर नियुक्त किए जाने वाले 10 लोगों के नाम देने के निर्देश दिए थे। यूनिटेक मैनेजमेंट पर धन के हेरफेर और कुप्रबंधन का आरोप लगने के बाद कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनी का प्रबंधन संभालने के लिए NCLT का रुख किया था। NCLT ने यूनिटेक को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस भी जारी किया था।
वैसे सुप्रीम कोर्ट से यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा को फिलहाल अंतरिम जमानत नही मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने संजय चंद्रा को दिसंबर के आखिर तक 750 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट में जमा कराने के आदेश दिए हैं। ये सुनवाई 12 जनवरी को होनी है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने कहा है कि अगर ये रुपये तय समय पर जमा होते हैं तो संजय चंद्रा जमानत की मांग कर सकते हैं।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने संजय चंद्रा को भी जेल में संपति बेचने को लेकर मोलभाव करने की इजाजत दे दी और तिहाड जेल प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वो संजय चंद्रा को जेल में ही अलग जगह दे ताकि वो संपति बेचने को लेकर ख़रीदारों से मोलभाव कर सके। कोर्ट ने सहारा चीफ की तरह संजय चंद्रा को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत करने की इजाजत दी है।
दरअसल पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने कहा था कि जो खरीदार पैसे वापस लेना चाहते हैं, उन्हें पैसे दिलाना कोर्ट की डयूटी है। वहीं एमिक्स पवन सी अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि 4682 खरीदार अपना पैसा वापस चाहते हैं और 4356 खरीदार फ्लैट चाहते हैं। फिलहाल यूनिटेक पर 9072 खरीदारों की 1865 करोड की देनदारी है।वहीं संजय चंद्रा की ओर से पेश पूर्व सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि कोर्ट में पहले ही 130 करोड रुपये जमा कराए हैं और वो चाहते हैं सभी को पैसा या फ्लैट मिले। लेकिन कंपनी के दोनों डायरेक्टर जेल में हैं और जेल में रहकर संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता। इसे लेकर वो कोई योजना तैयार कर रहे हैं। वहीं बेंच ने कहा कि जमानत पाने के लिए कोर्ट में कम से कम 1000 करोड रुपये जमा होने चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि अगली सुनवाई में कोई योजना लेकर आएं।
गौरतलब है कि 21 सितंबर को चीफ जस्टिस ने कहा था कि बिल्डर की आजादी से 16300 खरीदारों के आंसू ज्यादा महत्व रखते हैं और अपराधशास्त्र में जमानत का नियम इस केस में लागू नहीं होता क्योंकि कोर्ट को एक आदमी और 16300 खरीदारों से बराबरी करनी है। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि यूनिटेक के प्रोजेक्ट पर रिसीवर बैठाकर नीलामी कराई जा सकती है।सुप्रीम कोर्ट ने एमिक्स क्यूरी पवन सी अग्रवाल की बनाई वेबसाइट www.amicus.unitech.in पर सभी खरीदारों को अपना ब्यौरा देने के निर्देश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट में एमिक्स क्यूरी ने कहा था कि यूनिटेक के कुल 74 प्रोजेक्ट हैं जिनमें 13 प्रोजेक्ट पूरे चुके हैं। अभी भी 16299 फ्लैट नहीं दिए गए हैं। इन खरीदारों का कुल लगा पैसा 7816 करोड रुपये बनता है।
वहीं संजय चंद्रा की ओर से कहा गया कि वो सभी को फ्लैट देना चाहते हैं। इसके लिए इन्हें रिहाई दी जाए। वो 45 दिन से जेल में हैं और अंतरिम जमानत पर बाहर आकर प्रोजेक्ट पर काम करेंगे। इसमें छह महीने का वक्त लगेगा और अगर ऐसा ना कर पाएं तो सीधे दोषी करार देकर सजा दे दी जाए।
16 अगस्त 2017 को यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा ने सुप्रीम कोर्ट से वादा किया था कि वो तीन महीने के भीतर निवेशकों के सारे रुपये चुका देंगे और इसके लिए वो अपना घर व दूसरी संपत्ति भी बेचने को तैयार हैं। चंद्रा ने सुप्रीम कोर्ट से तीन महीने के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने की गुहार लगाई थी।
दरअसल संजय और उनके भाई अजय चंद्रा को गुडगांव के एक प्रोजेक्ट में निवेशकों से साथ ठगी के आरोप में जेल भेजा गया है। अप्रैल में ट्रायल कोर्ट ने दोनों को तीन महीने की अंतरिम जमानत दी थी जो 11 अगस्त को पूरी हो गई। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने भी राहत देने से इंकार कर दिया था।
संजय चंद्रा ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि 152 निवेशकों ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को शिकायत दी थी जिनमें से 62 लोगों के साथ समझौता हो चुका है। अब करीब 35 करोड रुपये का मूलधन देना बाकी है। अगर वो तीन महीने में ये नहीं चुकाते तो कोर्ट उन्हें सजा दे सकता है।
गौरतलब है कि दिल्ली निवासी अरूण बेदी और उनकी मां उर्मिला बेदी की शिकायत पर दिल्ली की कोर्ट ने 27 जुलाई 2015 को दिल्ली पुलिस को केस दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके बाद 31 जुलाई को पुलिस ने केस दर्ज किया था। शिकायत में कहा गया है कि उन्होंने अगस्त 2011 में गुडगांव के वाइल्ड फ्लावर कंट्री प्रोजेक्ट में 57.34 लाख में फ्लैट बुक कराया लेकिन कंपनी ने फ्लैट नहीं दिया। इसके बाद अन्य कई शिकायतें पुलिस के पास पहुंची। पुलिस का कहना है कि कंपनी ने करीब 363 करोड रुपये इकट्ठा किए और इनमें से 91 शिकायतकर्ताओं के करीब 35 करोड रुपये हैं।