दिल्ला सरकार बनाम केंद्र : गोपाल सुब्रमण्यम ने दलील दी कि क्यों मंत्रीमंडल की सलाह और मदद LG पर बाध्यकारी
वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने संविधान पीठ को बताया कि अनुच्छेद 239 (1), 239A(1), और 239 AA(4) को एक साथ जोडकर समझा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसमें कोई विसंगति नहीं है और ये मानकर नहीं चलना चाहिए कि इसके तहत अधिकार के प्रतिष्ठापन में कोई कमी है। उपराज्यपाल सिर्फ नाममात्र के हेड हैं क्योंकि राष्ट्रपति ही दिल्ली में मंत्रीमंडल की नियुक्ति करते हैं।
सलाह और मदद को सिद्धांत के तौर पर बाध्यकारी बताते हुए उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 239AA में दिए गए प्रावधान “ कोई भी मामला “ विधायी शक्तियों की प्रचुरता को लेकर है और इसके तहत चुनी हुई सरकार को बेअर्थ साबित नहीं किया जा सकता।
संविधान की चुप्पी के बारे में वरिष्ठ वकील ने कहा कि ये कहना महत्वपूर्ण है कि दिल्ली में विधायिका के लिए सरकार की कैबिनेट जिम्मेदार है।
उन्होंने एक अनोखी दलील भी दी कि मौलिक अधिकारों में चुनी हुई सरकार के जरिए शासन में हिस्सा लेने का अधिकार भी शामिल होना चाहिए। सुनवाई बुधवार को भी चलती रहेगी।