हम गुजारा भत्ता के मामले में पक्षकारों की आय, परिसंपत्ति और खर्च के ब्योरे देने के प्रारूप को मानक बनाएंगे : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह गुजारा भत्ता के मामले में उस प्रारूप का मानकीकरण करने के पक्ष में है जिसके तहत पक्षकारों को अपनी और अपने आश्रितों की आय, उनकी परिसंपत्ति और खर्च का ब्योरा देना होता है।
न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति मोहन एम शान्तनगौदार की पीठ ने वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा की दलील पर गौर करते हुए कहा, “याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहीं वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा ने अपील की है कि कोर्ट अगर चाहे तो उस प्रारूप को मानक बना सकता है जिसके तहत पक्षकारों को अपनी और अपने आश्रितों की आय, परिसंपत्ति और खर्चों का ब्योरा कोर्ट के समक्ष देना होता है।
हम याचिकाकर्ता के इस विद्वान वकील सुश्री मल्होत्रा की इस दलील को स्वीकार करते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई कर रहा था जिसमें उसने कहा था कि पत्नी को 15,000 रुपए हर माह देना पति का कर्तव्य है। यह राशि उस समय तक के लिए था जब तक कि तलाक के मामले का फैसला नहीं हो जाता।
पति ने इस रकम के भुगतान संबंधी इस आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी कि कोर्ट ने पत्नी की वित्तीय स्थिति पर गौर नहीं किया है। हालांकि उसकी इस दलील को हाई कोर्ट ने नहीं माना। कोर्ट ने कहा, “उठाए गए मुद्दे पर हमने गौर किया है और हमने पाया है कि कोर्ट ने दूसरे पक्ष की वित्तीय और आय की स्थिति को ध्यान में रखा है पर वैसे भी हमारी यह तयशुदा राय है कि प्रतिवादी आवेदनकर्ता की पत्नी है।
निचले कोर्ट के सामने लंबित मामला और कार्यवाही की पृष्ठभूमि में, हमने यह पाया है कि एक पति के रूप में आवेदनकर्ता का यह कर्तव्य है कि वह उसे इस तरह के खर्चे का भुगतान करे क्योंकि अभी शादी टूटी नहीं है।”
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र को सौंप दिया है और पक्षकारों को अगले 11 नवंबर को वहाँ पेश होने को कहा है।