डायन के नाम पर प्रताड़ित करने का चलन अभी भी कई राज्यों में, इससे निपटने के लिए कानून की दरकार : गुवाहाटी हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

Update: 2017-11-01 06:17 GMT

डायन बताकर उसको प्रताड़ित करना अमानवीय हड़कत है और मानवाधिकार के उल्लंघन का सबसे घिनौना तरीका। अभी भी कई राज्यों में यह प्रथा चलन में है। गुवाहाटी हाई कोर्ट ने कहा कि असम और उत्तर पूर्व के अन्य राज्यों में इसका चलन जारी है।

गुवाहाटी हाई कोर्ट ने कहा कि आदमी और औरत को डायन बताकर लोग उनको तरह-तरह से प्रताड़ित करते हैं। यह अमानवीय है और मानवाधिकार के उल्लंघन का बेहद बुरा तरीका। हाई कोर्ट के दो सदस्यीय बेंच में शामिल न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान और न्यायमूर्ति परान कुमार फुलकान ने तीन लोगों की अर्जी पर सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि यह सामाजिक और कानूनी समस्या है और यह कई स्तरों पर कायम है। कोर्ट ने कहा कि कुछ लोग बूढ़ी महिलाओं को डायन बतार उन्हें प्रताड़ित करते हैं। कोर्ट ने कहा कि यह सामाजिक बुराई है। यह सिर्फ असम की समस्या नहीं है बल्कि देश भर के कई इलाकों में ये चलन में है। कई जगहों पर यह परंपरागत तरीके से चलता आ रहा है।

असम विच हंटिंग प्रोहीबिशन, प्रीवेंशन एंड प्रोटेक्शन बिल, 2015 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी है। इस मामले में दो आरोपियोंको सजा दी गई जबकि तीसरे को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया गया।

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